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भुवनेश्वर, कटक, बालेश्वर, अनुगूल, राउरकेला, कलिंगनगर और तालचेर नॉन अटैनमेंट सिटी के रूप में वर्गीकृत
भुवनेश्वर। ओडिशा के सात शहरों और कस्बों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इनमें राज्य की राजधानी भुवनेश्वर, कटक, बालेश्वर, अनुगूल, राउरकेला, कलिंगनगर और तालचेर शामिल हैं। दावा किया जा रहा है कि इन शहरी केंद्रों में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इसलिए इन्हें नॉन अटैनमेंट सिटी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
बताया जाता है कि पीएम10 और पीएम2.5 जैसे खतरनाक वायु प्रदूषकों की उपस्थिति ओडिशा के इन सात शहरों में उच्च स्तर पर है।
साल 2021 में हुई वृद्धि
साल 2020 में राउरकेला में वार्षिक औसत वायु गुणवत्ता (पीएम10 घटक) 86, कलिंगनगर में 108, तालचेर में 92, भुवनेश्वर में 82, अनुगूल में 86, कटक में 101 और बालेश्वर में 78 थी।
साल 2021 में लगभग इन सभी शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया। पीएम10 कलिंगनगर में 116, राउरकेला में 117, तालचेर में 105, अनुगूल में 95, बालेश्वर में 76, भुवनेश्वर में 103 और कटक में 90 था।
वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार, 10 माइक्रोमीटर (पीएम10) से कम व्यास वाले पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) को 0 से 50 के बीच अच्छा कहा जाता है। 50-100 संतोषजनक होता है। 100 से ऊपर इसे मध्यम माना जाता है।
पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार, पीएम10 इनहेलेबल कण हैं, जिनका व्यास आमतौर पर 10 माइक्रोमीटर और उससे छोटा होता है। वे कण बिजली संयंत्रों से कार्बनिक धूल, वायुजनित बैक्टीरिया, निर्माण के दौरान निकलने वाले धूल और कोयले के कण जैसी चीजें हैं।
हालांकि, इन शहरों और कस्बों की हवा में सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) और एनओएक्स का स्तर निर्धारित सीमा के भीतर है।
पर्यावरण के लिए हानिकारक उत्पादों का प्रयोग करना होगा बंद
पर्यावरणविद का कहना है कि हर कोई पर्यावरण और प्रदूषण और हमारे समाज पर इसके प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बात करता है, लेकिन बहुत कम लोग हैं जो वास्तव में इसके बारे में चिंतित हैं। सबसे पहले, हम सभी को अपनी मानसिकता बदलनी होगी और ऐसे सभी उत्पादों का उपयोग कम करना होगा, जो हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को प्लास्टिक जैसे ठोस अपशिष्ट पदार्थों के पूर्ण निपटान के लिए कदम उठाने की जरूरत है, जबकि सरकार को उद्योगों के लिए निर्धारित हरित मानदंडों को सख्ती से लागू करना चाहिए। बताया जा रहा है कि स्थिति को देखते हुए ओडिशा सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद वायु प्रदूषण की जांच के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए ओडिशा सरकार ने राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि अभी पूरी तरह से इसका प्रचलन थमा नहीं है। विकल्पों के पूरी तरह से प्रयोग में नहीं आने तक प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध संभवन भी नहीं दिख रहा है।
वायु प्रदूषण के अलग-अलग कारण
ओएसपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम ऐसे शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर की निगरानी कर रहे हैं। विभिन्न शहरों में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण अलग-अलग हैं। भुवनेश्वर, कटक और बालेश्वर जैसे शहरों में वाहनों की बढ़ती आवाजाही, निर्माण गतिविधियां और जनसंख्या वृद्धि कुछ प्रमुख मुद्दे हैं।
उन्होंने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि अन्य स्थानों पर, ताप विद्युत संयंत्र, स्टोन क्रशर, खराब सड़क की स्थिति, खानों के परिवहन आदि सहित उद्योग वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
एनसीएपी के तहत इन जगहों पर पंचवर्षीय कार्य योजना हो रही लागू
वायु प्रदूषण की जांच के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत इन जगहों पर पंचवर्षीय कार्य योजना (2019-24) लागू की जा रही है। केंद्र सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान लगभग 8 करोड़ रुपये और इस वर्ष 9.60 करोड़ रुपये कार्य योजना को लागू करने के लिए प्रदान किए हैं।
नगरपालिकाएं ओएसपीसीबी की देखरेख में कार्ययोजना लागू कर रही हैं। प्रदेश के इन सात स्थानों पर प्रदूषण के स्तर की रीयल टाइम मॉनिटरिंग के लिए कंटीन्यूअस एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन (सीएएक्यूएमएस) स्थापित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि राउरकेला और तालचेर में ऐसे स्टेशन स्थापित किए गए हैं, अन्य स्थानों पर भी जल्द ही मिल जाएंगे।