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अजय बहादुर बच्चों ने नीट में लहराए परचम

  • जिन्दगी फाउंडेशन के 21 में से 20 बच्चों ने नीट 2022 में क्वालीफाई किया

  •  सपनों की ऊँची उड़ान भरेंगे दिहाड़ी मज़दूर और भूमिहीन किसानों के बच्चे, बनेंगे डॉक्टर

हेमंत कुमार तिवारी, भुवनेश्वर.
एक सहारे की बदौलत अपनी लाचारियों को मात देते हुए कुछ बहादुर बच्चों ने नीट में अपने परचम लहरा दिये हैं।
नीट की सफलता का जश्न जब सभी ओर बच्चे मना रहे होते हैं, उसी समय ज़िन्दगी फाउंडेशन में ख़ुशी और आँसु दोनों झलकते हैं। ख़ुशी इस बात की कि वर्षों की तपस्या का परिणाम मिलता है और कठिन परिस्थिति में मिली इस सफलता से अभिभूत आंसू अपने आप निकल आते है। ज़िन्दगी फाउंडेशन के बच्चों की सफलता कोई साधारण सफलता नहीं होती है क्योंकि इनमें से ज्यादातर बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हे हर दिन दो वक्त का भोजन भी नसीब नहीं होता। रिक्शा चालक, दिहाड़ी मज़दूर, सब्जी विक्रेता और गरीब किसान के बच्चे जब देश के सबसे कठिन परीक्षा में से एक ‘नीट’ में सफल होते हैं तो कई प्रेरणादायक कहानियां बनती हैं।
ओडिशा के जाजपुर जिले की अमृता साहू के पिता दिहाड़ी मज़दूर हैं और बेटी की प्रतिभा को देख कर भी वह उसके लिए मेडिकल के कोचिंग की व्यवस्था नहीं कर पाये। परिवार का भरण पोषण ही मुश्किल से चल पाता था। ऐसे में ज़िन्दगी फाउंडेशन ने अमृता का हाथ थामा और उसके नीट की तैयारी की पूरी जिम्मेदारी उठाई। अमृता ने नीट में 636 स्कोर कर एक प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में पहुँचाने का रास्ता बना लिया है।
ओडिशा के ही केंद्रापड़ा जिले के जगन्नाथ गिरी ने नीट में स्कोर 635 कर के अपने डॉक्टर बनने के सपने की ओर कदम बढ़ाया है। जगन्नाथ के पिता भूमिहीन किसान हैं और परिवार चलाने के लिए दिहाड़ी मज़दूरी का भी काम करते हैं। कई बार परिवार को भूखे पेट भी सोना पड़ता है। जगन्नाथ भी अपनी पढाई के साथ साथ खेतों में मज़दूरी करता है ताकि घर में कुछ और पैसे आ सकें। ज़िन्दगी फाउंडेशन के मार्गदर्शन और अपनी मेहनत से जगन्नाथ ने गरीबी को हरा कर अपना सपना सच कर दिखाया है।
ढेंकानाल के मलय कुमार प्रधान की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। हर दिन खाने को तरसते इस दिहाड़ी मज़दूरों के बच्चे की सफलता की भूख ने पेट के भूख को मात दे दिया। जब भर पेट खाना ही एक चुनौती हो तो मेडिकल कोचिंग एक सपने के तरह था। लेकिन मलय ने कभी अपने लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा। नीट में 634 का स्कोर कर मलय ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है और एक डॉक्टर बनने की ओर कदम बढ़ाया है।
ज़िन्दगी फाउंडेशन के 21 में से 20 बच्चों ने नीट 2022 में क्वालीफाई किया और डॉक्टर बनने की ओर बढ़ चले हैं। 2017-18 से शुरू हो कर अब तक ज़िन्दगी फाउंडेशन के 88 बच्चे नीट क्वालीफाई कर चुके हैं। यह सभी बच्चे समाज के सबसे गरीब और पिछड़े वर्ग से आते है जिनके परिवार का जीवन यापन भी मुश्किल से होता है। इन बच्चों को ज़िन्दगी फाउंडेशन नीट की कोचिंग, स्टडी मटेरियल, रहने -खाने और बाकी सभी सुविधाएं बिलकुल मुफ्त प्रदान करता है। 2021-22 में अपनी सफलता के 5 साल पूरा करते हुए ज़िन्दगी फाउंडेशन अब ओडिशा के बाहर कदम रखने की तैयारी कर रहा है और दूसरे राज्य के बच्चे भी अब इस फाउंडेशन के अंतर्गत नीट की तैयारी कर सकेंगे।
ज़िन्दगी फाउंडेशन की परिकल्पना शिक्षाविद अजय बहादुर सिंह ने की जिन्हे बच्चे अजय सर के नाम से जानते हैं। कभी स्वयं डॉक्टर बनने का सपना लिए अजय मेडिकल की तैयारी कर रहे थे। लेकिन पिता की बीमारी के कारण अजय को अपनी पढाई बीच में छोड़नी पड़ी और वह पिता के इलाज़ के लिए चाय शरबत बेच कर पैसे कमाने लगे। अपने कड़ी मेहनत और लगन के साथ जब अजय सर ने जीवन में शिक्षाविद के तौर पर सफलता पायी तो उन्होंने अपने जैसे मेधावी और गरीब बच्चों को डॉक्टर बनाने का संकल्प लिया और ज़िन्दगी फाउंडेशन की स्थापना की।
अपने फाउंडेशन की लगातार सफलता के बारे में अजय कहते हैं, “मेरा मानना है की ज़िद है तो जीत है।” इन बच्चों में जीवन में जीतने की जिद है और मैं इसी जिद को सफलता में बदलने का प्रयास करता हूँ। कभी मेरी ज़िन्दगी की शुरुआत चाय और शरबत बेचने से हुई थी। आज जब मैं जब सक्षम हूँ तो मैं कोशिश करता हूँ की पैसो के आभाव में किसी मेधावी बच्चे का डॉक्टर बनने का सपना अधूरा नहीं रह जाए जैसा मेरा रह गया था। इन बच्चों के सफलता में अपनी सफलता देखता हूँ।इधर राज्य के राज्यपाल डॉक्टर प्रोफ़ेसर गणेशी लाल ने इन सफल बच्चों को अपनी शुभकामनाएं दी तथा ऐसे ही आगे बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

 

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