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ऐसी प्रतिमा स्थापित करने वाला एकलौता राजभवन बना देश का
भुवनेश्वर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित राजभवन में भारत माता की प्रतिमा स्थापित कर देश में एक नया इतिहास रच दिया है। ओडिशा का यह राजभवन देश का एकलौता राजभवन है, जहां भारत माता की प्रतिमा स्थापित की गयी है। 15 अगस्त को 76वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर भुवनेश्वर राजभवन ऐटहोम (शिष्टाचार मुलाकात) के दौरान यह प्रतिमा उपस्थित लोगों के बीच आकर्षण की केन्द्र बनी रही। लगभग आठ हजार विशिष्ट मेहमानों ने भारत माता के दर्शन किये। ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल ने बताया कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है। भारत की आत्मा भारत माता हैं। इसीलिए उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के पालन के अवसर पर यह ऐतिहासिक पहल की है, जो आनेवाले सैकड़ों वर्षों तक ओडिशा के युवा-युवतियों को भारत के शक्तिबोध तथा सौंदर्य बोध की प्रेरणा देती रहेगी। प्रोफेसर गणेशीलाल ने यह भी बताया कि देश की आजादी में, आत्मनिर्भर ओडिशा के निर्माण में ओडिशावासियों के साथ-साथ यहां की महिलाओं का भी अभूतपूर्व योगदान रहा है। इसीलिए भुवनेश्वर राजभवन में स्थापित मूर्ति के नीचे ओडिशा की उन समस्त पद्म पुरस्कृत महिलाओं के नाम अंकित हैं, जिनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत माता की स्थापित मूर्ति के नीचे 1959 की पद्मश्री से सम्मानित शैलबाला दास, 1975 की पद्मश्री से सम्मानित संयुक्ता पाणिग्राही, 1984 की पद्मश्री से सम्मानित बासंतीलता जेना, 1998 की पद्मश्री से सम्मानित प्रियंबदा महंती(हेजमादी), 2001 की पद्मश्री से सम्मानित तुलसी मुण्डा, 2005 की पद्मश्री से सम्मानित कुमकुम मोहंती, 2006 की पद्मश्री से सम्मानित डा इलीना चितरिस्ती, 2007 की पद्मश्री से सम्मानित डा प्रतिभा राय, जिन्हें 2022 के पद्मभूषण से सम्मानित किया गया है, 2012 की पद्मश्री से सम्मानित डा मिनती मिश्रा, 2017 की पद्मश्री से सम्मानित अरुणा मोहंती, 2019 की पद्मश्री से सम्मानित कमला पुजारी, 2020 की पद्मश्री से सम्मानित डा दामयंती बेसरा, 2020 की ही पद्मश्री से सम्मानित वीणापाणि मोहंती, 2020 की ही पद्मश्री से सम्मानित साबरमती, 2021 की पद्मश्री से सम्मानित शांति देवी, 2021 की ही पद्मश्री से सम्मानित पुरनमासी जानी तथा 2022 की पद्मश्री से सम्मानित श्यामामणि के नाम अंकित हैं।