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पाइक विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन – हरिचंदन

  • सिपाही विद्रोह के मार्गदर्शक थे बक्शी जगबंधु, दीवान कृष्ण चंद और जयी राजगुरु

भुवनेश्वर। पाइक विद्रोह भारत का प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन था तथा बक्शी जगबंधु, दीवान कृष्ण चंद और जयी राजगुरु सिपाही विद्रोह के मार्गदर्शक थे। यह बातें आंध्रप्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कहीं। वह क्रांति दिवस तथा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कीट कंवेंशन सेंटर पर ओड़िया मासिक पत्रिका कादंबिनी का पाइक विद्रोह विशेषांक के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। सम्मानित अतिथि के रूप में ओडिशा सरकार के संस्कृति, पर्यटन, ओड़िया भाषा, साहित्य और आबकारी मंत्री अश्विनी कुमार पात्र, प्रोफेसर शांतनु कुमार आचार्य और हरप्रसाद दास आदि मंचासीन रहकर समारोह को संबोधित किये और ओडिशा के पाइक विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन बताया।
समारोह के मुख्य अतिथि आंध्रप्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने कादंबिनी मासिक पत्रिका के संरक्षक प्रोफेसर अच्युत सामंत तथा संपादिका डॉ इति सामंत की तारीफ करते हुए लोकार्पित कादंबिनी पाइक विद्रोह विशेषांक को पठनीय तथा संग्रहणीय बताया। उन्होंने बताया कि पूरा भारत जानता है कि 1857 का सिपाही विद्रोह ही भारत का पहला स्वतंत्रता आंदोलन था, लेकिन ओडिशा में इसकी शुरुआत 1817 से हो गई थी। पाइक विद्रोह के मार्गदर्शक तथा सफल संचालक बक्शी जगबंधु, दीवान कृष्ण चंद और जयी राजगुरु आदि थे। सम्मानित अतिथि ओडिशा सरकार के संस्कृति, पर्यटन, ओड़िया भाषा, साहित्य श्री अश्विनी कुमार पात्र ने भी अपने संबोधन में ओडिशा के पाइक विद्रोह को भारत का प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन बताया जिसको सफल बनाने में सभी ओड़िया का प्रत्यक्ष तथा परोक्ष योगदान था। मंच संचालन तथा आभार प्रदर्शन डॉ इति सामंत ने किया। आयोजन का वह पक्ष यादगार रहा जिसमें आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में सभागार में बैठे सभी के हाथों में तिरंगा था और जुबान पर गगनभेदी जय हिन्द का नारा था।

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