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शिक्षा मंत्री ने ही खोली शिक्षा व्यवस्था की कलई

  •  ओडिशा में 90 स्कूलों में ब्लैकबोर्ड नहीं

  •  34,394 के पास खुद का शौचालय नहीं

  •  बिना खेल मैदान के हैं 37,645 विद्यालय

  •  2451 विद्यालयों के पास पुस्तकालय नहीं

  •  विधानसभा में जनशिक्षा मंत्री समीर रंजन दाश ने दी जानकारी

  •  प्राथमिक विद्यालयों में 5.42 फीसदी ड्रॉप आउट औसत दर है

  •  विद्यालय छोड़ने के मामले में रायगड़ा सबसे टॉप पर

भुवनेश्वर. ओडिशा में समग्र शिक्षा क्षेत्र में सुधार पर सभी बड़ी चर्चाओं के बीच राज्य के जनशिक्षा मंत्री समीर रंजन दाश ने बुधवार को चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा करते हुए कहा कि प्रदेश के 90 स्कूलों में लिखने के लिए ब्लैकबोर्ड नहीं हैं. विधानसभा में विधायक उमाकांत सामंतराय के सवाल के जवाब में मंत्री ने यह बात कही. दाश ने राज्य के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी सुविधाओं के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 34394 स्कूलों के पास खुद का शौचालय नहीं हैं, जबकि 37,645 स्कूलों के पास खेल मैदान नहीं हैं. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार खुले में शौच के खिलाफ मुहिम चला रही है और खेलो इंडिया को प्रोत्साहिक कर रही है. ऐसी स्थिति में मंत्री ने बयान देकर लोगों के कान खड़े हो गये हैं. इतना ही नहीं, 2451 विद्यालयों के पास पुस्तकालय नहीं हैं. इसी क्रम में उन्होंने बताया कि 90 विद्यालयों के पास ब्लैकबोर्ड नहीं हैं. इस तरह मंत्री के सभी जवाब चौंकाने वाले थे.
अपने आंकड़ों भरे जवाब में दाश ने कहा कि साल 2018-19 के दौरान ओडिशा के प्राथमिक विद्यालयों में 5.42 फीसदी ड्रॉप आउट औसत दर रह. जबकि उच्च प्राथमिक में यह दर 6.93 फीसदी तथा माध्यमिंक विद्यालयों में 5.41 फीसदी रही. उन्होंने बताया कि
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन के दिशानिर्देशों के अनुसार, वार्षिक औसत ड्रॉपआउट दर की गणना के लिए लगातार दो वर्षों के नामांकन को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने बताया कि शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार, प्राथमिक विद्यालय स्तर पर औसत ड्रॉप आउट के मामले में 11.67 फीसदी दर के साथ रायगड़ा जिला टॉप पर है. इसी तरह, केंद्रपाड़ा, कालाहांडी और खुर्दा जिला प्राथमिक स्कूल छोड़ने की दर क्रमशः 8.93 फीसदी, 8.46 फीसदी और 8.19 फीसदी है. अपने बयान को जारी रखते हुए मंत्री ने कहा कि स्कूलों में ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए सभी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर नजर रखी जा रही है. शहरी वंचित छात्रों के लिए आवासीय छात्रावास का प्रावधान, सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों के लिए मुफ्त पाठ्य-पुस्तकें और पोशाक, स्कूलों में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग शौचालय तथा दूर से आने वाले छात्रों के लिए परिवहन भत्ता का प्रावधान भी है.

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