भुवनेश्वर। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के तत्वाधान में ओडिशा प्रांत के पुरी के गोवर्धन मठ परिसर में गणित की तीन दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी का उद्घाटन शनिवार को विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री श्रीराम अरावकर एवं राष्ट्रीय मंत्री शिवकुमार के कर कमलों से दीप प्रज्ज्वलन कर हुआ। इस अवसर पर मंचासीन अधिकारी का परिचय विद्या भारती वैदिक गणित विभाग के बिहार क्षेत्र प्रमुख रामचन्द्र आर्य ने कराया। बैठक की प्रस्तावना अखिल भारतीय संयोजक देवेंद्र राव देशमुख ने रखी।
इस अवसर पर देशभर से आए वैदिक गणित विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री शिवकुमार ने विद्या भारती में वैदिक गणित की पच्चीस वर्ष की विकास यात्रा की चर्चा करते हुए इसे जनव्यापी बनाने का संकल्प दोहराया। उन्होंने देश के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में वैदिक गणित को गणित की एक विधा के रूप में पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने पर जोर दिया।
राष्ट्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मन की बात में देश के छात्र-छात्राओं से प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने के लिए पुणे वैदिक गणित का अभ्यास करने की सलाह दी थी। फिर पीएम ने नई शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए कहा था कि गणितीय चिंतन शक्ति और वैज्ञानिक मानस बच्चों में विकसित हो, यह बहुत आवश्यक है। मोदी ने कहा कि गणितीय चिंतन शक्ति का मतलब केवल गणित के सवाल हल करना नहीं बल्कि यह सोचने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन बिंदुओं को कैसे शामिल किया जाए, यह एक चुनौती है? यह प्रश्न स्कूली नेशनल एजुकेशन फ्रेमवर्क से भी जुड़ा है कि स्कूली पाठ्यक्रम में एनईपी के मूलभूत बिंदुओं को कैसे समाहित किया जाए? इसी परिप्रेक्ष्य में यह भी विचारणीय होगा कि वैदिक गणित की इसमें क्या संभावना है?
उन्होंने कहा कि वैदिक गणित को स्कूली अथवा उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में कैसे समाहित किया जाए और इसके लिए शिक्षक कहां से आएंगे? इस संदर्भ में शिक्षा-संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत अखिल भारतीय संगठन विद्या भारती युगांतरकारी कार्य कर रहा है। हमने अपने हजारों शिक्षकों को वैदिक गणित के लिए प्रशिक्षित किया है। आजकल एनईपी के परिप्रेक्ष्य में सीबीएसई बोर्ड के लिए निर्धारित एनसीईआरटी की पुस्तकों के लिए नए फ्रेमवर्क पर मंथन हो रहा है। यह उचित होगा कि गणित के पाठ्यक्रम में वैदिक गणित को सम्यक रूप से समाहित करने पर विचार किया जाए। एनईपी में शोध-अनुसंधान पर बहुत बल है। वैदिक गणित इस मामले में भी उपयोगी है।
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