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लगभग 1.5 किलोमीटर तक आशा कार्यकर्ता और लोगों की मदद से तय की दूरी
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सड़क और नहर पर पुलिया के अभाव में घर नहीं पहुंचा एंबुलेंस
भुवनेश्वर. कंधमाल जिले में एक एंबुलेंस चालक श्रवण कुमार की भूमिका में दिखा. इस चालक ने अपने माता-पिता को नहीं, अपितु एक गर्भवती महिला को कांवड़ में बैठकर 1.5 किलोमीटर लंबा जंगल का रास्ता तय किया और बिना पुलिया के नहर को पार करते हुए उसे एंबुलेंस तक लाया और फिर उसे अस्पताल में पहुंचाया, जहां महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है. एंबुलेंस चालक की सूझ-बूझ की लोग तारीफ कर रहे हैं.
बताया जाता है कि कंधमाल जिले के सरनगड़ा ग्राम पंचायत के तेतरगन गांव के अरुण प्रधान की पत्नी आरती ने प्रसव पीड़ा की शिकायत की. इसकी सूचना मिलने पर स्थानीय मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य आशा कार्यकर्ता मौके पर पहुंची और 102 एम्बुलेंस सेवाओं को फोन किया. हालांकि वाहन चलने योग्य सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पा रही थी.
पैदल चलकर चालक पहुंचा पीड़िता के घर
एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पर एंबुलेंस चालक जीतू मांझी ने वाहन को गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर खड़ा कर मानवता के लिए पैदल ही आरती के घर पहुंच गया. इसके बाद एंबुलेंस चालक ने ग्रामीणों और आशा कार्यकर्ता के साथ मिलकर आरती लाने के लिए बांस और रस्सियों से एक कांवड़ तैयार किया और उसमें बैठा कर एंबुलेंस तक पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते और नहर को पार किया. नहर में पानी तो कम था, लेकिन बड़े पत्थरों के कारण उसे पार करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. एंबुलेंस से उसे सरनगड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां आरती ने एक बच्चे को जन्म दिया.