भुवनेश्वर. तेरापंथ भवन भुवनेश्वर में महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ मुनिश्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा-3 के सानिध्य में 263वां तेरापंथ स्थापना दिवस एवं गुरु पूर्णिमा का समारोह आयोजित किया गया. समारोह में मुनि पदम कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र के जप का अनुष्ठान करवाया. मुनि डॉ बिमलेश कुमार जी ने तेरापंथ स्थापना दिवस के बारे में कहा कि यह एक धर्म क्रांति का दिवस है. 263 वर्ष पूर्व जैन संत स्वामी भीखण जी ने मौलिक सिद्धांतों के लिए धर्म क्रांति की तथा श्रावक समाज को सुझबुझ के साथ धर्म के मर्म को समझाया.
डॉ मुनिश्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने कैसे तेरापंथ धर्म संघ की स्थापना हुई, उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी तथा कहा कि स्वामी भीखण जी का अलग पंथ बनाना लक्ष्य नहीं था. परन्तु सत्य मार्ग को स्वीकार कर चले और केलवा (राजस्थान) में आज से 262 वर्ष पूर्व हे प्रभु यह तेरापंथ कह कर सबोंधित किया तथा यहीं से तेरापंथ धर्म संघ की स्थापना हुई. सम्पूर्ण जैन समाज में एकमात्र तेरापंथ धर्म संघ में एक गुरु के अनुशासन में पूरा चतुर्विध धर्म संघ चल रहा है. मुनिश्री ने गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा सुमधुर गितिका आदि से गुरु के प्रति समर्पण भावना रखी. आज के आयोजन में संस्था सिरोमणी श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुख लाल जी सेठिया तथा श्रध्दालुओं की अच्छी उपस्थिति थी. आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा भुवनेश्वर के तत्वावधान में था.