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भक्तों ने सोनावेश रूप में भगवान जगन्नाथ के किए दर्शन
बालेश्वर. महाप्रभु श्री जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ घर वापस लौट आये हैं. महाप्रभु के इस पावन यात्रा को देखने के लिए इमामी नगर बालेश्वर में सुबह से ही लाखों भक्तों का समागम देखने को मिला. भक्तों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे.
जानकारी के मुताबिक अपने पतितपावन नाम को सार्थक करने के लिए महाप्रभु श्री जगन्नाथ रत्न भंडार के आकर्ष्ण को त्याग कर भक्तों के बीच आते हैं. बड़े भाई श्री बलराम, बहन सुभद्रा एवं सुदर्शन के साथ महाप्रभु रथ पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर आते हैं, जिसे रथयात्रा कहा जाता है एवं जब गुंडिचा मंदिर से वापस रत्नवेदी के लिए निकलते हैं तो इसे बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है. महाप्रभु की बाहुड़ा यात्रा को रथयात्रा की ही तरह सम्पन्न की गई. मनोरम परिवेश में तीनों भगवान की गुंडिचा मंदिर में सुबह मंगला आरती, सूर्य पूजा, द्वारपाल पूजा, बाल्यभोग, खिचुड़ी धूप, माल्यार्पण के बाद पेपर मिल्स के चेयरमैन अविनाश गुप्ता ने रथों पर छेरापहंरा किया. शाम को पहंडी बिजे कर महाप्रभु जगन्नाथ सहित भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा को रथ पर रथारूढ़ किया गया. मंदिर के मुख्य पुजारी प्रदीप कुमार मिश्रा की देखरेख में सभी रीतियों को संपन्न किया गया. इस दौरान वृंदावन से आए रासलीला दल द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया गया जो भक्तों के बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र बना. इस कार्यक्रम में इमामी ग्रुप तथा इमामी जगन्नाथ मंदिर के प्रतिष्ठाक राधेश्याम अग्रवाल एवं राधेश्याम गोयनका के प्रतिनिधि के रूप में मंदिर के मुख्य पुरोधा सुशील कुमार गोयनका उपस्थित थे. इसके अलावा मंदिर के मुख्य प्रशासक निखिल रंजन समांतराय इमामी पेपर मिल्स के उपाध्यक्ष राजेश कुमार मित्तल, मुख्य परिचालक युसूफ अली सोलंकी, देवाव्रत होता, रमेश चंद्र खुंटिया, सहप्रबंधक ओम प्रकाश शर्मा, अनिल कुमार सिंह, जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार पाढ़ी प्रमुख ने कार्यक्रम का संचालन किया.