कटक. आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में कन्या युवती प्रशिक्षण शिविर का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ. इसमें 85 कन्या युवती बहनों ने भाग लिया. कन्या युवतियों को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि भारतीय समाज में पवित्रता का प्रतीक हैं कन्याएं. कन्याएं समाज के भविष्य का आधार हैं. कन्याएं समाज की तस्वीर व तकदीर हैं. कन्याएं शक्ति हैं, संस्कृति हैं, त्याग की प्रतिमूर्ति हैं. कन्याओं को संस्कारी बनाना घर, परिवार व समाज को संस्कारी बनाना है. वह दो घरों को रोशन करने वाली रोशनी है.
घर के मंदिर का दीपक हैं बेटियां, स्वप्न का तिलिस्म हैं बेटियां, मानव मन का अन्तरमन हैं बेटियां, पिता की झोली में कुदरत का वरदान हैं बेटियां. उन्होंने आगे कहा कि परिवर्तन सृष्टिका अटल नियम है. परिवर्तन का अर्थ है क्रांति. बदलना जरूरी है. बदलना तभी सार्थक है, जब हम इंसान से बंदर नहीं, बल्कि बूंद से समुंदर बन जायें. उन्होंने आगे कहा कि बदलते परिवेश में कन्या युवतियां अपने चरित्र पर दाग न लगने दें. शिक्षा वरदान बने, अभिशाप न बने, यह सबको ध्यान रखना है. अपनी परंपरा अपनी संस्कृति का ध्यान रखना है. मुनि ने तत्वज्ञान आदि के बारे में भी बताया. मुनि परमानंद ने कहा कि मैं कुछ होना चाहता हूं, उसके लिए संकल्प बल जरुरी है. जिसके पास में सकल्प बल होता है, वह जो चाहे वैसा बन सकता है और वैसा प्राप्त कर सकता है. कन्या मंडल की संयोजिका प्रियंका बोथरा, शिखा सेठिया, उषा चौरड़िया ने आभार व्यक्त किया.
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