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तीन माह की उम्र में पिता ने छोड़ा आश्रम में, 30 साल बाद मुलाकात

  •  बेल्जियम में रहने वाली ममीना की मार्मिक कहानी

भुवनेश्वर. ओडिशा के कंधमाल जिले के रायकिया ब्लॉक के गुजपंगा गांव में एक बहुत ही मार्मिक दृश्य देखने को मिला है. जिस बेटी को पिता ने तीन माह की उम्र में आश्रम में छोड़ दिया था, वह अपने परिजनों की खोज करते हुए 30 साल बाद बेल्जियम से लौट आयी और परिवार के सदस्यों तथा रिश्तेदारों से मिलकर पुनः वापस चली गयी.
इस बेटी का नाम ममीना है. इसके अपने परिवार से अलग होने की कहानी भी बहुत ही मार्मिक है. 30 साल पहले की बात है, जब ममीना का जन्म गुजपंगा गांव में कृष्णचंद्र राणा के घर में हुई. वह कृष्णचंद्र की पांचवीं संतान थी. दुर्भाग्य से वह मुश्किल से तीन महीने की थी तभी उसकी मां स्वर्गवासी हो गयी.
उस पर कुदरत का कहर यहीं थमा. हालात यहां तक पहुंचे कि ममीना के पिता को उसे जी उदयगिरि स्थित सुभद्रा महताब आश्रम में छोड़ना पड़ा. उसे अपनी जान बचाने के लिए यह निर्णय लेना पड़ा, क्योंकि तब उसके लिए छह संतानों का पेट पालना एक कठिन काम था. कृष्णचंद्र को यह पता नहीं था कि बेल्जियम के एक जोड़े ने ममीना को गोद लिया है.
टूर में यात्रियों के सवाल ने अतीत में उतारा
कुछ साल पहले तक ममीना को अपने जन्मस्थान और माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. दो साल पहले वह एक टूर पर कंबोडिया जा रही थी. इस दौरान कुछ लोगों ने जानना चाहा कि क्या वह एक एंग्लो-इंडियन है. इस सवाल ने उसे उसके दिल को झकझोर दिया तथा अतीत की गहराई में उतरने को मजबूर कर दिया.
‘अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग’ संस्था ने की मदद
उसने पहले अपने गोद लेने वाले माता-पिता से उसके बारे में जाना. फिर उसने बच्चे को गोद लेने के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली संस्था ‘अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग’ से संपर्क किया. सौभाग्य की बात यह रही कि कुछ भारतीय संगठनों के साथ वह काम कर रही थी. संस्था ने मुंबई की वकील अंजलि पवार से संपर्क किया और इसने उसके परिवार के सदस्यों के साथ उसकी मुलाकात का मार्ग प्रशस्त किया और वह भारत आकर अपने परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों से मुलाकात की.
परिवार से मिलकर अच्छा लगा
परिवार के सदस्यों से मिलने के बाद ममीना ने कहा कि मैं अपने परिवार के सदस्यों से मिलकर बहुत खुश हूं. मुझे अच्छा लगता है कि मैं इतनी खूबसूरत जगह से हूं. मैं अपने पिता, भाई और बहनों से मिल सकती हूं.
ममीना की बड़ी बहन ने कहा कि निःस्संदेह, यह परिवार के लिए एक महान क्षण है. मेरे पिता पृथ्वी पर सबसे खुशी व्यक्ति हैं. वह कह रहे हैं कि वह अपनी मृत्यु से पहले इस बेटी से मिल गये. यह उनकी बड़ी इच्छा थी. अब उनके जीवन में और कोई इच्छा नहीं बची है.
वकील अंजलि पवार ने कहा
इस बच्ची को अपने परिवार के सदस्यों से मिलाने वाली वकील अंजलि पवार ने कहा कि जब वह एक बच्ची थी, तो उसे बताया गया था कि उसकी मां एक अविवाहित मां हैं, लेकिन जब उसने 2018 में अपने कागजात देखे, तो उन्हें पता चला कि उसकी मां एक अविवाहित मां नहीं थी. फिर उसने हमें खोजना शुरू किया. ममीना के पति अरनद भी ममीना के अपने परिवार के सदस्यों से लंबे अंतराल के बाद मिलने से खुश हैं.
बिदाई में छलके आंसू
कहा जाता है कि बेटी परायी होती है. इस मुलाकात के बाद बेटी की बिदाई भी होनी तय थी. ऐसा ममीना के साथ भी हुआ. जाते-जाते उसने यह वादा कि वह अपने परिवार के सदस्यों से मिलती रहेगी. उसने उन सभी को गले लगाया और जाने की अनुमति मांगी. उसकी विदाई के वक्त परिवार के सदस्यों के साथ-साथ पड़ोसियों के आंखों में आंसू छलक पड़े और वह बेल्जियम चली गई.

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