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प्राकृतिक चिकित्सा, य़ोग व आयुर्वेद पर अधिक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता
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स्वस्थ शरीर के लिए योग व व्यायाम नियमित किया जाना चाहिए – संजय लाठ
भुवनेश्वर. आज की स्थिति में जब पूरा पर्यावरण दूषित हो गया है तथा लोगों की जीवनशैली में भारी बदलाव आ रहा है, ऐसे में हमें अपनी जीवन शैली में बदलाव के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा, योग व आयुर्वेद पर अधिक से अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे लोगों की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का समाधान निकल सकता है। महाशिवरात्री पर भुवनेश्वर के जय भारत आडिटोरिय़म में मा जानकी स्वास्थ्य़ मिशन के वार्षिक उत्सव में विभिन्न वक्ताओं ने यह बात कही।इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रुप में शामिल परमहंस श्रीमदस्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने कहा कि शिव आदि भेषज हैं। उन्होंने आदि वक्ता के रुप में जनकल्याण के लिए आयुर्वेद को परिभाषित किया है। देश के विकास के लिए लोगों का मन व शरीर दोनों स्वस्थ होना चाहिए। योग व आयुर्वेद के जरिये ये संभव है। डा मदन मोहन पाढ़ी की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवा निवृत्त अधिकारी सुदर्शन नायक ने कहा कि विश्वभर में भारतीय चिकित्सा विज्ञान का आदर बढ़ा है। आचार्य सुश्रुत को शल्य चिकित्सा के जनक के रुप में मान्यता मिली है। चरक संहिता पर अधिक शोध हो रहे हैं। सम्मानित अतिथि के रुप में संजय कुमार लाठ ने कहा कि स्वस्थ शरीर के लिए योग व व्यायाम नियमित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियमित व्यायाम किया जाये तो किसी भी दवा की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि व्यायाम से शरीर स्वस्थ रहता है और आरोग्य रहता है. कार्यक्रम में आयुर्वेद चिकित्सक शिव प्रसाद रथ, मनोरोग विशेषज्ञ डा गोपाल चंद्र कर, होमियापैथी चिकित्सक डा अशोक मिश्र, एक्युप्रेशर चिकित्सक दीनदलाय क्याल, योग प्रशिक्षक सुधांशु अधिकारी को इस अवसर पर सम्मानित किया गया ।