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विधानसभा के प्रश्नकाल तथा सर्वदलीय बैठक में में नहीं हुए शामिल
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मुंह पर काली पट्टी बांधकर जताया विरोध
भुवनेश्वर – स्मितारानी हत्या मामले को लेकर भाजपा का विरोध तेज हो गया है। विधायकों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया तथा प्रश्नकाल में शामिल नहीं हुए। इतना ही नहीं सर्वदलीय बैठक में भी भाग लिये। शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल चला, लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायक इसमें शामिल नहीं हुए। विधानसभा की कार्यवाही शुरु होने पर विपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक व भाजपा के विधायक मुंह पर काली पट्टी पहन कर अपनी अपनी सीट पर खडे़ रहे । विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने विपक्ष के नेता व भाजपा विधायकों से काली पट्टी खोलने तथा अपनी सीट पर बैठ जाने के लिए अपील की, लेकिन भाजपा विधायक अपनी सीट पर खडे़ रहे । विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल का कार्यक्रम जारी रखा।
इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष ने फिर से भाजपा विधायकों से मुंह से काली पट्टी उतारने तथा अपनी सीट पर बैठने की अपील की । लगभग 10 मिनट खड़ा होने के बाद भाजपा विधायक अपनी सीट पर बैठने के साथ-साथ काली पट्टी खोल दी, लेकिन वे प्रश्नकाल में शामिल नहीं हुए । इस दौरान भाजपा विधायक मोहन मांझी का एक प्रश्न चर्चा के लिए आया, लेकिन उन्होंने इस में भाग नहीं लिया । इस कारण उनके प्रश्न पर चर्चा नहीं हो सकी ।
प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सूर्य नारायण पात्र ने सर्वदलीय बैठक बुलायी। इसमें प्रतिपक्ष के नेता, प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक, संसदीय मामलों के मंत्री, सरकारी दल के मुख्य सचेतक व कांग्रेस विधायक दल के नेता को अपने प्रकोष्ठ में बुलाया । इस कारण उन्होंने सदन की कार्यवाही को उन्होंने 11.30से 12 बजे तक स्थगित कर दिया । प्रश्नकाल में शामिल न होने के बाद भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए ।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में विपक्ष के नेता प्रदीप्त नायक ने कहा कि स्मितारानी मामले में सत्तारुढ़ पार्टी अपने नेताओं को बचाना चाहती है । इसके खिलाफ भाजपा ने आज काली पट्टी पहना तथा इसके प्रतिवाद में प्रश्नकाल मे शामिल नहीं हुए । उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य पुलिस की जांच पर उनका किसी प्रकार का विश्वास नहीं है । इस कारण भाजपा विधायक ये मांग करते हैं कि मामले की जांच सीबीआई से करायी जाए । उन्होंने कहा कि अभियुक्त बीजद नेता रुपेश भद्र पर धारा 306 लगाया गया । इससे स्पष्ट है कि राज्य पुलिस सत्तारुढ़ पार्टी के नेता को बचाना चाहती है । उसके खिलाफ धारा 302 लगाया जाए । इसी तरह मृतक महिला के परिवार को न्याय देने के बजाय मृतक महिला का ही चरित्र संहार करने वाले जाजपुर के पुलिस अधीक्षक को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए । इसी तरह महिला आयोग जिसका काम पीडि़ता को न्याय प्रदान करना है वह पीड़िता के परिवार से मिलने के बजाय अभियुक्त के परिवार से मिले । उन्हें भी तत्काल बर्खास्त किया जाए । जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वह विधानसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे तो उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक प्रत्येक एक घंटें में स्थिति पर चर्चा करने के बाद निर्णय लेते रहेंगे ।