क्या है परिवार ?
परिवार वह है, जहां बंधन नहीं व्यवस्था होती है, जहां सूचना नहीं, समझ, कानून नहीं कायदा, भय नहीं भरोसा, आग्रह नहीं आदर, संपर्क नहीं संबंध, अर्पण नहीं समर्पण होता है.
पुष्पा सिंघी, कटक
युगप्रधान महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डा. मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा-3 व मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में “कैसे रहे परिवार खुशहाल” विषय पर परिवार कार्यशाला का आयोजन सेठिया सदन में तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित किया गया. इस अवसर पर डा मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने कहा कि एक परिवार एक विश्व है. एक परिवार टूटता है, तो सिर्फ एक परिवार ही नहीं टूटता, अपितु पूरा राष्ट्र, पूरा विश्व टूटता है. इसलिए परिवार को टूटने, बिखरने से बचाना उन्नत समाज व्यवस्था का दायित्व है. जब हम दूसरे की जिंदगी में हस्तक्षेप करेंगे, तो उसकी जिंदगी बिगड़ते देर नहीं लगेगी. दूसरे की जिंदगी को सुधारने के लिए स्वयं उसे जिम्मेदार बनायेंगे, तो वह अपने आप अपनी जिंदगी को संवार लेगा. परिवार वह है, जहां बंधन नहीं व्यवस्था होती है, जहां सूचना नहीं, समझ, कानून नहीं कायदा, भय नहीं भरोसा, आग्रह नहीं आदर, संपर्क नहीं संबंध, अर्पण नहीं समर्पण होता है. मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने इस अवसर पर संभागियों को सुखी परिवार के लिए संकल्पों उच्चारण करवाया.
इस अवसर पर मंगल संबोधन में मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि समाज की सबसे छोटी व महत्त्वपूर्ण इकाई है परिवार. जिसे चारों ओर से स्वीकार किया जाए, उसका नाम है परिवार. परिवार स्नेहिल भावनाओं का “मुख्यालय है. सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का शिवालय है और मानवीय गुणों का सचिवालय है. परिवार समूह चेतना का प्रतीक है, जहां सुख दुःख दोनों बांटकर भोगे जाते हैं. सुखी परिवार के सूत्र की चर्चा करते हुए मुनि श्री ने आगे कहा कि एक-दूसरे के साथ रहना सीखें, एक-दूसरे को कहना सीखें और एक-दूसरे को सहना सीखें. परिवार में प्रेम, सामंजस्य, सेवा, सहयोग आदि गुणों के विकास से स्वर्गीय वातावरण का निर्माण हो सकता है. मुख्यवक्ता डा मुनि विमलेश कुमार जी ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की जरूरत है सुखी परिवार. सुखी परिवार के निर्माण के लिए होशियारी नहीं समझदारी चाहिए. समस्याओं का आना “पार्ट ऑफ लाइफ है और लेकिन उन समस्याओं से बाहर निकलना “आर्ट ऑफ लाइफ है. उन्होंने सुखी जीवन के सूत्रों सहिष्षुता, सेवा, श्रमशीलता, संयम, स्वभाव परिवर्तन को अपनाने पर बल दिया.
इस अवसर पर मुनि पदम कुमार ने कहा कि परिवार में प्रेम, एकता हो तो सुख का सागर लहरा सकता है. बाल मुनि कुणाल कुमार ने “घर को स्वर्ग बनाएं हम प्रेरक एवं मधुर गीर प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.
आभार ज्ञापन तेयुप मंत्री मनीष सेठिया ने किया. कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद ने किया. कार्यशाला में लगभग 100 व्यक्ति संभागी बनें. कार्यक्रम को सफल बनाने में मुनि पदमकुमार के साथ-साथ तेयुप सदस्यों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा.