व्यासजी ने बताया कि शाश्वत मान्य 9 प्रकार की भक्ति में राजा परीक्षित-श्रवण भाव की भक्ति के आदर्श हैं. शुकदेवजी कीर्तन भाव की भक्ति के आदर्श. प्रह्लादजी स्मरण भाव की भक्ति के आदर्श. श्री लक्ष्मीजी पादसेवन भाव की भक्ति की आदर्श. पृथुजी अर्चनभाव की भक्ति के आदर्श. अक्रुरजी वंदन भाव की भक्ति के आदर्श. हनुमानजी दास्य भाव की भक्ति के आदर्श. अर्जुन-सखा भाव की भक्ति के आदर्श और राजा बलि आत्मनिवेदन भाव की भक्ति के आदर्श हैं. व्सासजी ने यह भी बताया कि वेद का अर्थ ज्ञान है. हमारे चारों वेदों के कुल: 20,307 ज्ञान-मंत्र परमपिता परमेश्वर की विस्तृत जानकारी के मूल मंत्र हैं, जिसके माध्यम से मानव कल्याण होता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि सदाचारी जीवन ही सच्चे भक्त की वास्तविक पहचान होती है. सच्चे गोभक्त कथाव्यास जिनकी बिकानेर में वृद्ध गोशाला है. गौशाला में हजारों अपंग गायें हैं, जिनकी सेवाकर वे परमसुख प्राप्त करते है. कथा 28 मई तक नियमित प्रतिदिन अपराह्नः 4.00 बजे से सायंकालः 7.00 बजे तक अस्थायी रुप से तैयार वातानुकूलित मण्डप में चलेगी.
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