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कटक गीताज्ञान मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा दूसरा दिवस
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व्यासपीठ के परमज्ञानी संत तथा सच्चे गोभक्त स्वामी सुखदेव जी महाराज द्वारा राजा परीक्षित के शंका का समाधान तथा जीवन में सद्गुरु का महत्त्व आदि
भुवनेश्वर. कटक गीताज्ञान मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यासपीठ के परमज्ञानी संत तथा सच्चे गोभक्त स्वामी सुखदेव जी महाराज द्वारा राजा परीक्षित के शंका का समाधान तथा जीवन में सद्गुरु के महत्त्व आदि जैसे अनेक जीवनोपयोगी प्रसंगों पर सारगर्भित प्रवचन दिया. व्यासपीठ पर उनका अभिवादन मुख्य यजमान विजय खण्डेलवाल द्वारा किया गया. उन्होंने आध्यात्मिक जीवन जीने का मंत्र दिया. साथ ही साथ उन्होंने बताया कि जीव कर्मों बंधा है.
माया की विस्तृत चर्चा करते हुए यह बताया कि माया का सीधा संबंध मन से होता है और मन जहां तक जा सकता है, वहां तक माया है. उन्होंने बताया कि मानव को भगवान से प्रेम करना चाहिए. एक गृहिणी के कुल आठ रुप होते हैं, जिनका निर्वहन आदर्श नारी करती है. उन्होंने यह भी बताया कि गुरु बनाया नहीं जाता अपितु धारण किया जाता है. प्रवचन के अंतिम चरण में उन्होंने बताया कि तीसरे दिवस की कथा सृष्टि के निर्माण की होगी. अंत में आरती हुई और आगत समस्त भक्तों ने प्रसाद लिया.
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