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अवैध कब्जा खाली कराने की जगह कोर्ट पहुंचे लोगों को किया बेदखल
भद्रक. जिले के चांदबली प्रखंड के जलेश्वरपुर गांव में जमीन अतिक्रमण को लेकर हुए विवाद को लेकर स्थानीय तहसीलदार और ग्रामीणों के बीच आमना-सामना हो गया. आरोप है कि जमीन खाली कराने की हाई कोर्ट की नोटिस के तहत काम करने से भी इनकार कर दिया और कहा कि वे जमीन को बेदखल नहीं करायेंगे.
सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने सरकारी जमीनों पर कब्जा कर लिया है. इससे ग्रामीणों को नजदीकी मंदिर में जाना मुश्किल हो रहा था. इसके बाद स्थानीय रमाकांत भल नामक एक ग्रामीण ने मामले को तहसीलदार, जिला कलेक्टर, राजस्व विभाग और राजस्व संभागीय आयुक्त तक पहुंचाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बाद में भल ने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने चांदबली तहसीलदार को अतिक्रमण की गई जमीन को बेदखल करने का निर्देश देते हुए नोटिस जारी किया.
बेदखली के दिन ही स्थानीय तहसीलदार ने इस संबंध में शिकायत करने वाले ग्रामीणों को अतिक्रमण हटाने की बजाय बेदखल कर दिया. गुस्साये ग्रामीणों ने जब तहसीलदार से उन्हें बेदखल करने का कारण स्पष्ट करने को कहा, तो उनके बीच आमना-सामना हो गया. तहसीलदार सुशांत सुतार ने कहा कि प्लाट नंबर 557, 553 और 381 पर जमीन खाली कराने का काम चल रहा है. शेष जमीन को दूसरे चरण में बेदखल किया जायेगा.
भल ने कहा कि बेदखली का काम 19 मई को होना था. तहसीलदार आये और घटनास्थल का दौरा किया. जब वह बेदखली का अभियान चलाये बिना लौट रहे थे, तो मैंने उनसे कोर्ट के आदेश का पालन न करने का कारण पूछा. इससे वह क्रोधित हो गये और कहा कि मैं बेदखली नहीं करूंगा. मैं जो चाहूंगा, वो करूंगा. उसने मुझे धमकी भी दी.