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उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ किसी के भी जनहित याचिका दायर करने की संभावना
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निर्माण विभाग के अतिरिक्त सचिव ओबी एंड सीसी के ईआईसी-सह-एमडी को एओआर से संपर्क करने के लिए कहा
भुवनेश्वर. पुरी में श्री मंदिर की हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर सकती है. संभावना है कि राज्य के उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जा सकती हैं. इसे लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पूरी संभावना जतायी जा रही है कि पुरी विरासत के संबंध में उच्च न्यायालय के नौ मई के आदेश के खिलाफ किसी भी व्यक्ति, समूह या कोई संगठन जनहित याचिका दायर कर सकता है. राज्य के निर्माण विभाग के अतिरिक्त सचिव, बिमलेंदु राय ने ओडिशा ब्रिज एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (ओबी एंड सीसी) के ईआईसी-सह-एमडी को एक पत्र लिखा है और कहा है कि यदि हो सके तो उपलब्ध अन्य प्रासंगिक रिकॉर्ड, निर्देश और प्रमाणित प्रति के साथ सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) गौरव खन्ना से संपर्क करें, ताकि वह उच्च न्यायालय के आदेश के संबंध में समय पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष कैविएट दाखिल कर सकें. उल्लेखनीय है कि नौ मई को पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के आसपास हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के तहत राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे निर्माण के खिलाफ एक याचिका की सुनवाई के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एक हलफनामा प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था कि सक्षम अधिकारियों की अनुमति के बिना ओडिशा सरकार द्वारा निर्माण किया जा रहा है. मामले की अगली सुनवाई 20 जून को निर्धारित की गई है. उल्लेखनीय है कि पुरी के एक निवासी ने श्री मंदिर के 75 मीटर के दायरे में आने वाली सार्वजनिक सुविधाओं के निर्माण में हस्तक्षेप करने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर के निषिद्ध क्षेत्र के भीतर निर्माण कार्य कर रही है. हालांकि इसके लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गयी थी और यह मंदिर एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यह संरक्षित स्मारक के 100 मीटर के भीतर नये निर्माण को प्रतिबंधित किया गया है. इस निर्माण कार्य को लेकर राजनीतिक माहौल भी गरमाया है.