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पूछा-श्रीमंदिर करिडर के ढांचे को यदि गैरकानूनी घोषित किया जाता है, तो सैकड़ों करोड़ों के नुकसान के लिए कौन होगा जिम्मेदार
आर्कोलाजिकस सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) ने राज्य हाईकोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि इस परियोजना के लिए संस्थान से अनुमति नहीं ली गई है. इस परिक्रमा परियोजना के द्वारा पुरातात्विक अवशेषों को नुकसान होने की संभावना व्यक्त की गई है. सांसद अपराजिता ने कहा कि एएसआई की ओर से कोर्ट में दिये गये हलफनामे के बाद राज्य सरकार की गलती पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है. उन्होंने प्रश्न किया कि यदि इन ढांचाओं को गैरकानूनी घोषित कर दिया जाता है तो इसके निर्माण में लोगों के पैसे से खर्च हुए सैकड़ों करोड़ रुपये की बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार रहेगा. उल्लेखनीय है कि पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर की परिक्रमा परियोजना को लेकर चल रहे विवाद के बीच भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार को कटक हाईकोर्ट में अपना हलफनामा दिया था. इस हलफनामे में एएसआई ने स्पष्ट किया था कि इस परियोजना के लिए उसने किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी है. एएसआई ने कोर्ट में और भी कहा कि एएसआई से किसी प्रकार एनओसी नहीं दी गई है. साथ ही नेशनल मोनुमेंट आथरिटी को जो पूर्ण डीपीआर रिपोर्ट दी गई है और वर्तमान में जिसपर डीपीआर पर काम हो रहा है, वह दोनों समान नहीं हैं. इस निर्माण के कारण पुरातात्विक अवशेषों के नष्ट होने की भी संभावना व्यक्त की गई थी. मामले की अगली सुनवाई 22 जून को होगी. 20 जून तक जवाब देने के लिए कहा गया है.