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आध्यात्मिक मिलन समारोह का भव्य आयोजन, संतों के आगमन से समाज में छाया हर्षोल्लास
भुवनेश्वर. युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य डॉ मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा-3 व मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 का आध्यात्मिक मिलन तेरापंथ भवन भुवनेश्वर में हुआ. आध्यात्मिक मिलन के अवसर पर भुवनेश्वर, कटक आदि क्षेत्रों से अच्छी संख्या में श्रद्धालुजन उपस्थित थे.
आध्यात्मिक मिलन समारोह में उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए डॉ. मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार ने कहा कि साधु-साध्वियां जब भी आये श्रावक समाज का फर्ज है कि वे उनकी सेवा-उपासना करें. चारित्र वंदनीय होता है. चारित्र युक्त संत समाज से कुछ लेने के लिए नहीं, अपितु देने के लिए आते हैं. जो संतों के प्रवास का उपयुक्त लाभ उठाता है, वह भाग्यशाली होता है. आज हम विहार करते हुए भुवनेश्वर पहुंचे हैं. मुनि जिनेश कुमार जी आदि संतों से मिलकर खूब प्रसन्नता हुई. भुवनेश्वर श्रावक समाज ने विहार सेवा का दायित्व जागरूकता पूर्वक वहन किया.
इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि संतों से सर्वोदय और भाग्योदय होता है. संत व्यक्ति के पाप, ताप, उत्ताप, संताप का हरण करने वाले होते हैं. संत किसी को प्रभावित करने के लिए नहीं अपितु प्रकाशित करने के लिए आते हैं. तेरापंथ धर्मसंघ के संतों का जहां पर परस्पर मिलन होता है, वहां
विनय, वात्सल्य, स्नेह, उल्लास आदि अनेक भाव साकार हो उठते हैं. सुदूर क्षेत्रों में विहरण करने वाले संतों से आध्यात्मिक मिलन कभी-कभार ही हो पाता है. आज वरिष्ठ संत डा. मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी आदि ठाणा-3 से मिलकर अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है. मुनि ज्ञानेन्द्र कुमार जी ज्ञानी संत हैं. वे तपस्सी व साधक है. सभी को संतों के प्रवास का खूब लाभ उठाना है.
इस अवसर पर डॉक्टर मुनि विमलेश कुमार जी, मुनि पदम कुमार जी ने प्रासंगिक विचार व्यक्त किये. मुनि कुणाल कुमार जी सुमधुर गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या मण्डल के मंगलाचरण से हुआ. स्वागत भाषण तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने दिया. इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया, तेयुप मंत्री दीपक सामसुखा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष मधु गिड़िया, वरिष्ठ श्रावक मंगलचंद चोपड़ा, तेरापंथ सभा कटक के सहमंत्री मुकेश डूंगरवाल ने अपने विचार व्यक्त किये. तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया.