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मंदिरों में विसर्जन पात्र स्थापित करने का शुभारंभ
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मारवाड़ी युवा मंच, भुवनेश्वर शाखा की नयी परियोजना पवित्र विसर्जन पात्र का उद्घाटन
भुवनेश्वर. मंदिरों को स्वच्छ बनाये रखने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते मारवाड़ी युवा मंच की भुवनेश्वर शाखा ने पूजा में प्रयोग की जाने वाली सामग्रियों का धार्मिक तरीके से विसर्जन करने की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है. मारवाड़ी युवा मंच (मायुमं), भुवनेश्वर शाखा की नयी परियोजना पवित्र विसर्जन पात्र का उद्घाटन राजधानी भुवनेश्वर में किया गया.
दरअसल, पूजा के बाद निकली वस्तुओं को इधर-उधर फेंक दिया जाता है या कभी-कभी इसे कूड़ा-कचरा संग्रह करने वाली गाड़ियों में डाल दिया जाता है, जबकि हमारे धर्मग्रंथों में इसे विजर्सन किये जाने का उल्लेख मिलता है. परम्परा और विश्वास के अनुसार, देवताओं के श्रीअंग से उतारी गयी प्रत्येक वस्तु पवित्र होती है. इन वस्तुओं का अवांछित स्थानों पर डालना देव अपराध माना जाता है. यथास्थान पर विसर्जन पुण्य माना गया है. हमारी बदलती हुई शहरी जीवनशैली में अब ये पवित्र वस्तुएं मैला ढोनेवाली गाड़ियों के हवाले कर दी जा रहीं हैं. चाहे अनचाहे हम भी इसका शिकार हो जाते हैं. इसके सही विसर्जन के विकल्प के अभाव में भी यह हो रहा है.
समाज के एक प्रबुद्ध वर्ग के नागरिकों के परामर्श के बाद मायुमं में एक विचार बना कि यदि पवित्र सामग्रियों के विसर्जन की यदि कोई व्यवस्था तैयार की जाने से ही इस धार्मिक अपराध रोका जा सकता है.
इसी मंथन के बाद देवार्च्चन परिवार के सहयोग से मारवाड़ी युवा मंच, भुवनेश्वर शाखा ने अपनी नयी परियोजना पवित्र विसर्जन पात्र का शुभारंभ किया. इस परियोजना का पहला पात्र श्री हनुमान मंदिर, भोईनगर में मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष साकेत अग्रवाल ने स्थापित किया. इस पात्र के यजमान विजय अग्रवाल थे. इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दूसरे पात्र की स्थापना श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर, सीआरपी में की गई. इस दूसरे पात्र के यजमान गीतांजलि राजेश केजरीवाल थे. पवित्र विसर्जन पात्र की स्थापना के वक्त इस परियोजना के पथप्रदर्शक सज्जन शर्मा, इस परियोजना के मंच में स्थापना कराने वाले मंच के वरिष्ठ कार्यकर्ता पूर्व राष्ट्रीय संयोजक रमाशंकर रूंगटा, मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष साकेत अग्रवाल, सचिव विकास चाचन, मंच के उपाध्यक्ष विकास बथवाल, शुभम गोयनका व श्वेता केजरीवाल, प्रांतीय कोषाध्यक्ष गौरव लाल, विमल अग्रवाल व मंच के कई सदस्य उपस्थित थे. इस कार्य में देवालयों के संचालकों, पूजारियों तथा भक्तों से सहयोग आमंत्रित है. बताया गया है कि पूजा सामग्रियों में प्रयोग की जानी वाली वस्तुओं के जल का प्रयोग जैविक खाद के रूप में पहले तैयार किया जायेगा और इसका प्रयोग मंदिर परिसर में लगे फूलों के पौधों में किया जायेगा तथा बाद में बचे अवशेषों का धार्मिक तरीके विसर्जित किया जायेगा.