शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नरसिंह मिश्र ने कहा कि ओडिशा लोकसेवा भवन और विधानसभा में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लोकतंत्र के लिए हानिकारक है. उन्होंने कहा कि मीडिया राज्य की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अगर मीडिया का गला घोंटा जाएगा, तो विकास बाधित होगा. ओडिशा में कोविद-19 काफी हद तक कम हो गया है और जनजीवन सामान्य हो गया है. पत्रकारों को कार्यवाही को कवर करने के लिए तत्काल प्रभाव से लोक सेवा भवन और विधानसभा में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए. कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ताराप्रसाद वाहिनीपति ने भी पत्रकारों को तुरंत प्रवेश की अनुमति देने के लिए आवाज उठाई.
उन्होंने सवाल किया कि हम पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति देने के लिए लगातार मांग कर रहे हैं. वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं. जब कोविद-19 की तीसरी लहर के बाद सभी प्रकार की गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं, तो मीडिया को अपना काम करने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए?
इस बीच, भाजपा के मुख्य सचेतक मोहन माझी ने राज्य के पत्रकारों के लोकसेवा भवन और विधानसभा में इतने लंबे समय तक प्रवेश पर रोक लगाने के लिए सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि लोगों से संबंधित मुद्दों को मीडिया द्वारा उजागर किया जाता है. लोकसेवा भवन हो या विधानसभा, मीडियाकर्मियों का प्रवेश इन दोनों स्थानों पर दो साल से अधिक समय से प्रतिबंधित है. राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि पत्रकारों को इतने लंबे समय तक प्रवेश से वंचित क्यों रखा गया है?
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