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पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश के दौरान भगदड़, भक्तों ने तोड़ा बैरिकेड

  • महाप्रभु श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के राजवेश देखने उमड़ी भीड़

  • भीषण गर्मी और उमस के कारण भक्तों ने खोया आपा, बैरिकेड तोड़कर मंदिर में किया प्रवेश

पुरी. पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर के सामने आज मंदिर में प्रवेश के दौरान भगदड़ मच गयी और लोगों ने बैरिकेड को तोड़ दिया. इस दौरान दो लोगों के घायल होने की खबर है. जानकारी के अनुसार, भक्तों ने मंदिर में प्रवेश पाने के लिए सिंहद्वार के सामने लगे बैरिकेड्स तोड़ दिया. सूत्रों ने कहा कि हंगामे में दो भक्त गिर गये. बताया जाता है कि में महाप्रभु श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के राजवेश को देखने के लिए आज मंदिर के बाहर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. बताया जाता है कि अधिक गर्मी और उमस की स्थिति में लंबे समय तक कतारों में खड़े रहने से श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हुई, क्योंकि खैरा भोग अनुष्ठान के लिए दर्शन एक घंटे के लिए रोक दिया गया था. जब सामान्य दर्शन फिर से शुरू हुआ, तो सिंघद्वार के सामने भक्तों की काफी भीड़ जमा हो गयी थी और सभी भक्तों ने जबरन मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की और इस दौरान बैरिकेड को तोड़ दिया. बैरिकेड्स के पास तैनात पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित करने में नाकाम रहे. एक भक्त ने मीडिया से कहा कि हमें लगभग 3 घंटे तक कतार में खड़ा रहना पड़ा. सार्वजनिक संबोधन प्रणाली सहित कोई उचित व्यवस्था नहीं है. एक अन्य भक्त ने कहा कि हमें घंटों लंबी कतार में इंतजार करना पड़ा. गर्मी असहनीय होने के कारण सामने खड़े कई भक्तों ने बैरिकेड्स को धक्का देकर प्रवेश पाने की कोशिश की, जिससे स्थिति बिगड़ गई. प्रशासन को ऐसे मुद्दों को विशेष अवसरों पर संबोधित करने की आवश्यकता है. एक श्रद्धालु ने बताया कि प्रशासन ने पेयजल व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए व्यापक इंतजाम किया है, लेकिन महत्वपूर्ण त्योहारों पर उचित भीड़ प्रबंधन जैसे अन्य पहलुओं को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए.  उल्लेखनीय है कि हर साल ओड़िया महीने में पूर्णिमा के दिन डोल पूर्णिमा मनाई जाती है. इस दिन भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन अलग-अलग सोने के आभूषणों से सजाये जाते हैं. इसे राज वेश या राजराजेश्वर वेश के नाम से भी जाना जाता है. डोल पूर्णिमा के दौरान भगवान जगन्नाथ की डोल गोविंदा के रूप में पूजा की जाती है और देवी श्रीदेवी के साथ भगवान गोविंद को डोल बेदी पर रखा जाता है. सोन वेश में वह देवता भक्तों के साथ रंग खेलते हैं.

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