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पूर्व मंत्री और उद्योगपति दिलीप राय को एक बड़ा झटका, डिस्चार्ज पिटिशन खारिज

  •  विशेष सतर्कता अदालत ने 15 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा

भुवनेश्वर. पूर्व मंत्री और उद्योगपति दिलीप राय को एक बड़ा झटका देते हुए विशेष सतर्कता अदालत ने 1996 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनके द्वारा दायर एक डिस्चार्ज पिटि को खारिज कर दिया है. साथ ही अदालत ने राय के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया और उन्हें 15 मार्च को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा. साल 1996 में राउरकेला के पूर्व विधायक पर आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप लगाया गया था. उसके पास कई प्लॉट, कई होटल और कई बैंक खाते समेत अन्य संपत्तियां पाई गईं थीं. उस समय राय ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बीजू पटनायक के मंत्रिमंडल में मंत्री थे. सूत्रों के मुताबिक, सतर्कता विभाग ने राय की आय से अधिक संपत्ति 3.88 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था. कटक विजिलेंस कार्यालय ने उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. अक्टूबर 2020 में दिलीप राय को दिल्ली की एक अदालत ने 1999 में झारखंड कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं से संबंधित कोयला घोटाला मामले में तीन साल के कारावास की सजा सुनाई थी. कोयला घोटाला केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान 1999 में हुआ था, जहां बीजद भागीदार पार्टी थी. दिलीप राय उस समय अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में स्वतंत्र प्रभार के साथ कोयला राज्य मंत्री थे. दोषी ठहराए जाने के फौरन बाद राय को दो अन्य आरोपियों के साथ जमानत दे दी गई. बाद में निचली अदालत ने पूर्व मंत्री की सजा पर रोक लगा दी. इधर, विजिलेंस मामले में ताजा घटनाक्रम पर राय की टिप्पणी नहीं मिल पायी थी.

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