भुवनेश्वर. राजधानी स्थित नेवी हाऊस निवासी एडमिरल एसएच सरमा को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को सम्मानित करेंगे. एडमिरल एसएच सरमा पहली दिसंबर को 100 साल के हो गये. शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ लीविंग वेटरन एडमिरल सरमा को नई दिल्ली में 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक विशेष समारोह में उनकी उल्लेखनीय, प्रशंसनीय तथा प्रेरणादायक नेवी सेवाओं के लिए सम्मानित करेंगे. गौरतलब है कि मात्र 13 साल और 8 महीने की उम्र में एडमिरल हरिलाल सरमा सबसे कम उम्र के कैडेट के रुप में एचएमएस डुफेरीन में ज्वाइन किये. वे आज भारत के एकमात्र ऐसे जीवित सीनियरमोस्ट नेवी आफिसर हैं, जिन्होंने द्धितीय विश्व महायुद्ध, 1965 एवं 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा लिया है. 1971 भारत-पाक युद्ध में उन्होंने फ्लीट कमाण्डर के रुप में बंगाल की खाडी में भारतीय नवसेना का नेतृत्व किया था तथा भारत को जीत दिलाई थी. जब पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था, उस वक्त पाकिस्तान के तात्कालीन राष्ट्रपति याहया ने लीविंग वेटरन एडमिरल सरमा और भारतीय नेवी की जीत रणनीति की तारीफ की थी, जिसके बदौलत पाकिस्तान की वह हार हुई थी. एडमिरल एस.एच.सरमा ने 1958 में जिस पहले पानी के जहाज को कमाण्ड किया था तथा जिसे यूके से ब्रह्मपुत्र नदी के माध्यम से भारत लाया था, उसका नाम आईएनएस खुक्री था. उसके उपरांत वे आईएनएस खुक्री और आईएनएस मैसूर के कमाण्डर बने. वायस एडमिरल के रुप में श्री सरमा ने एक कुशल प्रशिक्षक के रुप में नवसेना प्रशिक्षण अधिकारियों, पेट्टी आफिसरों और नेवी के जवानों को प्रशिक्षण दिया है. अपने नेवी सेवाकाल में वे डिविजनल आफिसर, ज्वाइंट सर्विस वींग देहरादून जो बाद में नेशनल डिफेंस अकादमी खड्गवासला, पुणे बना और जहां से प्रथम कोर्स जेएसडब्लू से तीन चिफ बने-आर्मफोर्स एअर चिफ मार्शल सुरी, एडमिरल रामदास तथा जेनेरल रोडग्रीज. 1971 में लीविंग वेटरन एडमिरल सरमा नेशनल डिफेंस कालेज, नई दिल्ली के कमाण्डेंट बने. एडमिरल सरमा आईएनएस चिलिका, बालुगांव की स्थापना में अहम् भूमिका निभायी. उनकी पुस्तक “माई इयर्स ऐट सी“ आजाद भारत के नवसेना के इतिहास की एक संग्रहणीय पुस्तक है.
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