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सात्विक जीवन यापन करने को लेकर पढ़ाया पाठ
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कहा-करोड़पति होने के बावजूद भीखारी हैं हमसे धनी
भुवनेश्वर. समाजसेवा के क्षेत्र में 50 साल पूरे होने के अवसर पर आज उद्योगपति और वरिष्ठ समाजसेवी जगदीश मित्तल ने आज समाज में ऊंच-नीच की खाई को पाटने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम अगर वन नहीं जाते तो वह पुरुषोत्तम राम नहीं बनते, भगवान नहीं बनते और ना ही पूरी दुनिया के श्रीराम बनते. उन्होंने अयोध्या से निकलकर यह संदेश दिया कि जब राजसत्ता के शासक शासन से बाहर निकलकर पिछली पंक्ती पहुंचता है, तब रामराज की कल्पना सकार होती है. प्रभु राम ने सेवरी के जूठे बेर खाकर और केवट से दोस्ती करके समाज में ऊंच-नीच की खाई को पाटने का प्रयास किया था. इसलिए हमें भी समाज में इस खाई को पाटना है तथा संचित धन का सदुपयोग समाजहित में करना है. मित्तल ने कहा कि आज उनके पास अपना कुछ भी नहीं है, उन्होंने अपने शरीर को भी दूसरों के लिए दान कर दिया है.
उन्होंने कहा कि आज करोड़पति होने के बावजूद हम भीखारी हमसे धनी हैं. उन्होंने कहा कि एक भीखारी एक रुपये की दान के बदले करोड़ों आशीर्वाद देते हैं. उन्होंने कहा कि एक रुपये के बदले करोड़ों का आशीर्वाद कितना अनमोल सौदा है. इसलिए हमें अपने धनों का संचय न करके उसे समाजहित में प्रयोग करना चाहिए. अंत में मनुष्य को सबकुछ यहीं छोड़कर जाना होता है. इस दौरान उन्होंने श्रीराम के सारगर्भित तथ्यों से लोगों को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि लोगों को प्रभु श्री राम की सेवा भाव को अपने की जरूरत है.
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