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दृढ़ इच्छाशक्ति ने डा विजय खंडेलवाल को पहुंचाया शून्य से शिखर पर

इण्डो एशियन टाइम्स का यह स्तंभ उन विभुतियों के लिए समर्पित है, जिन्होंने एक बालक के रूप में जन्म लिया और अपने कर्मों की बदौलत उन्होंने दूसरों के लिए जीना और सोना-जगना शुरू कर दिया है. इस एपिशोड में हम एक ऐसे शख्सियत के सफर की कहानी पेश करने जा रहे हैं, जिन्होंने हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती ओडिशा को अपना कर्मभूमि बनाया. आज इन्होंने अपने कर्मों की बदौलत न सिर्फ बुलंदियों को छुआ है, अपितु इन्होंने समाज के लिए वह सब कुछ दिया है, जिसकी अपेक्षा एक कुशल नागरिक से होती है. 

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर

शून्य से शिखर तक की कड़ी में हम पेश कर रहे हैं युवा समाजसेवी, उद्योगपति, विभिन्न संस्थाओं में अपने योगदान की बदौल लोकप्रियता हासिल करने वाले डाक्टर विजय खंडेलवाल के कर्मों के सफर को. इन्होंने हर क्षेत्र में अपना परचम रहराया है.

“अब्राहम लिंकन ने कहा है कि कुछ करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के लिए इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है. ”

इसी दृढ़ इच्छाशक्ति ने इस युवक को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है कि आज वह हर क्षेत्र में न सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुटा है, बल्कि देशभर में अपनी छवि को स्थापित करने में सफलता भी हासिल की है. लोगों को साथ जोड़ने और अवसर को सफलता में तब्दील करने की कला का धनि व्यक्तित्व आज किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है.

कहा जाता है कि सफलता की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि वह मेहनत करने वालों पर फिदा हो जाती है और मेहनत करने वाले के कदम से कदमताल करने लगती है. कुछ ऐसी सफलता के साथ कदम से कदमताल करते हुए सन् 1980 में मथुरा से ओडिशा आए एक युवक ने इस कदर मेहनत की कि आज उसका परचम हर क्षेत्र में लहरा रहा है. यह व्यक्तिव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है. समाजसेवा का क्षेत्र हो या कर्मक्षेत्र, सभी जगहों पर इन्होंने अपनी एक छाप छोड़ रखी है.

जी हां! विजय खंडेलवाल ने संघर्षपूर्ण कर्मक्षेत्र की कामयाबी का एक मिसाल कायम करते हुए हर क्षेत्र में विजय हैं. एक सामान्य युवक से आज असामान्य व्यक्तित्व के धनि हैं.

विजय खंडेलवाल का जन्म उत्तर प्रदेश की मथुरा नगरी में 12 सितंबर 1960 को हुआ था. आपकी प्रारंभिक शिक्षा मथुरा से तथा उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय से हुई.

पढ़ाई पूरी करने के बाद विजय खंडेलवाल कर्मक्षेत्र में उतर पड़े और इसी दौरान उनका आगमन महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती ओडिशा में हुआ. आप संघर्षपूर्ण जीवन को सफलता की ओर अग्रसर होने के लक्ष्य के साथ तत्कालीन राजधानी कटक पहुंचे.

इस एक अनजान शहर में अपना बोलकर कोई था तो वह था अपने कर्म पर भरोसा और भरपूर आत्मविश्वास, जिसके तहत आप अपने सपने को साकार करने में जुट गये.

यहां पर उन्होंने शुरुआती के दिनों में बाजार के हाल को जाना तथा व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखने का संकल्प लिया. महाप्रभु श्री जगन्नाथ की असीम भक्ति को साथ रखकर इन्होंने स्टील और पाइप के व्यवसाय को अपने कर्म क्षेत्र का हिस्सा बनाया. उतार-चढ़ाव के बीच अडिग लक्ष्य के साथ इन्होंने व्यावसायिक क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहराया. धीरे-धीरे बढ़ते अनुभवों के साथ कर्मक्षेत्र का दायरा भी बढ़ाते गये. अनुभवों और अटूट आस्था के साथ-साथ संस्कारों का हिस्सा रहे समाजसेवा के क्षेत्र में भी इन्होंने बहुत कम समय के अंदर कदम रख दिया.

बचपन से ही तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अनुभवी विजय खंडेलवाल अपनी योजनाओं के सफल क्रियान्यवन के साथ-साथ व्यवासाय के क्षेत्र में कदम दर कदम बुलंदियों पर चढ़ते गये.

स्टील तथा पाइप के अलावा बाजार में आवश्यकताओं और रिक्तियों को भांपते हुए वेयर हाउसिंग को भी अपने कर्मक्षेत्र का हिस्सा बनाया. इसके बाद रीयल एस्टेट पर भी ध्यान दिया. बदलते समय की जरूरतों के साथ-साथ व्यवसाय को बढ़ाते हुए ओडिशा में लौह-अयस्क खनन क्षेत्र में भी आपनी उपस्थिति दर्ज करायी. खनन के क्षेत्र में आप उत्खनन और विपणन में मुख्य भूमिका निर्वहन कर रहे हैं.

बलुंदियों के चढ़ते परवान के साथ-साथ विजय खंडेलवाल के अंदर की ख्वाहिसें आगे बढ़ने को अग्रसित करती रहीं. इससे बुलंद हौसलों के साथ आपने व्यावसायिक क्षेत्र के साथ-साथ मनोरंजन जगत में भी कदम रखा. आपने स्थानीय भाषा ओड़िया में निर्मित फिल्मों में बतौर प्रोड्यूशर और डिस्ट्रीब्यूटर भी योगदान दिया.

व्यवसाय के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र में आपकी रूचि न सिर्फ कायम, बल्कि आपके संस्कार इस क्षेत्र की ओर भी अग्रसित कर रहे. आपके पिता स्वर्गीय अधिवक्ता इंद्रसेन गुप्ता तथा माता स्वर्गीय प्रभावती देवी मथुरा में समाजसेवा करते समय ही आपको इस क्षेत्र से जोड़ दिया था. इसलिए समाजसेवा की ललक आपकी बरकार रही.

आज आपने इतना योगदान दिया है कि कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो आपसे अछूता हो. व्यवसाय और समाजसेवा को कायम रखते हुए आप खेल जगत को भी अपने प्रयासों से ऊंचाई तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

सामाजिक सेवा के क्षेत्र में फिलहाल आप अखिल भारतीय खंडेलवाल वैश्य महासभा, जयपुर के मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मोदियों का निर्वहन कर रहे हैं. अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन के भी आप मुख्य संरक्षक हैं. पूर्व में ओडिशा की पुरानी राजधानी व व्यवासायिक नगरी कटक में आप कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष रह चुके हैं. वर्तममान में आप गीता ज्ञानमंदिर, महाराज अग्रसेन भवन के अध्यक्ष भी हैं. इसके साथ-साथ खेल जगत में बेसबॉल फेडरेशन ऑफ ओडिशा प्रांत के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं. इस खेल के क्षेत्र में आपने अपने पांच साल के कार्यकाल में कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन भी कराया है.

खंडेलवाल वैश्य हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, जयपुर तथा खंडेलवाल सेवा सदन, मथुरा, लायंस भवन भुवनेश्वर, बोलबम सेवा समिति, कटक समेत कई संस्थाओं के ट्रस्टी भी हैं.

मथुरा में बात्सल्यावस्था से ही आप गो-सेवा से जुड़े रहे. बढ़ते समय के साथ गोभक्ति बढ़ती गयी और आप एक गोभक्त के रूप में भी जाने-जाते हैं. आज आप नंदगांव वृद्ध गोसेवा आश्रम, मंगराजपुर के भी ट्रस्टी एवं को-चेयरमैन हैं. आप सैल्यूट तिरंगा के ओडिशा प्रांत के संरक्षक के रूप में देश भक्ति की विचारधारा को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके साथ-साथ आप सैल्यूट तिरंगा के राष्ट्रीय उपाध्य के रूप में देश भक्ति के जज्बे को बढ़ा रहे हैं.

आप बीते 35 सालों से आप लायंस क्लब से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं और बीते 25 सालों से आप कैबिनेट को-ऑडिनेटर के पद की भी शोभा को बढ़ा रहे हैं.

इसके साथ-साथ आप कटक-भुवनेश्वर शहरों में स्थापित विभिन्न क्लबों में अपना सक्रिय सदस्य हैं. उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स में आप कार्यकारी सदस्य हैं. इसके साथ-साथ आप कटक क्बल, भुवनेश्वर क्बल, ओडिशा क्रिकेट एसोसिएशन, गोल्फ क्लब भुवनेश्वर एवं प्रेस क्लब ऑफ ओडिशा के सदस्य भी हैं. आप मारवाड़ी क्लब के पैटर्न मेंबर एवं ट्रस्टी भी हैं.

आपने कटक मारवाड़ी समाज के अध्यक्ष रहते हुए समाज एक में एक नये आयाम को स्थापित किया. महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ-पढ़ाओ जैसी प्रमुख योजनाओं को न सिर्फ स्थापित किया, अपितु समाज को इस क्षेत्र से जुड़ने के लिए राह दिखाई. गरीब महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया. साथ ही टूटते परिवारों को बचाने की दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया. इतना नहीं हीं, बच्चियों को पढ़ाई की तरफ प्रेरित करने के लिए उनको सम्मान प्रदान करते हुए आगे बढ़ने की दिशा भी दिखाई. गरीबी और प्रतिभावान बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की योजना भी आपने पहली बार सामाजिक तौर पर शुरू की. आज केंद्र की प्रमुख योजनाओं में महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजनाएं शामिल हैं. आपकी इस योजना का लाभ उठाते हुए काफी संख्या में गरीब महिलाएं आज खुद के पैरों पर खड़ी हुई हैं. आपने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में साहित्य की अलख भी जगाने का प्रयास हास्य कवि सम्मेलन के जरिये किया था, जिसमें विश्व विख्यात हास्य कवि कुमार विश्वास ने उपस्थिति दर्ज कराते हुए साहित्य के प्रति लोगों में रोचकता जगाई.

आपकी महत्वपूर्ण सामाजिक योगदानों को रायल अमेरिकन यूनिवर्सिटी समेत विभिन्न संस्थाओं ने अपने-अपने स्तर पर मान्यताएं प्रदान की है. आपकी सामाजिक सेवाओं का मूल्यांकन करते हुए विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने समाज रत्न सम्मान से नवाजा है. राज्यपाल ने आपको विशिष्ट समाजसेवी के तौर पर सम्मानित किया है. ओडिशा सरकार ने भी आपके योगदानों को सम्मानित किया है. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी आपको सम्मान प्रदान किया है.

सामाजिक क्षेत्र में आपकी सेवाओं का मूल्यांकन करते हुए रायल अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने मानद डाक्टरेड की उपाधि से विभूषित किया है. अभी हाल में व्यवसायिक क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए ओडिशा स्टेट लीडरशिप अवार्ड से नवाजा गया है.

आपकी सबसे बड़ी खासियत एक टीम को सृजित करने को लेकर भी है. एक बार जो भी व्यक्ति आपके साथ जुड़ जाता है, आपकी मिलनसारित उसको सदैव के लिए आपके जोड़े रखती है. आपने अपने व्यक्तिगत सहयोगों से भी बहुतों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है.

आपका मानना है कि यदि मनुष्य अपने लक्ष्य को निर्धारित उसे हासिल करने की दिशा में चल पड़े तो किसी भी मुकाम को प्राप्त किया जा सकता है. अडिग लक्ष्य, आत्म विश्वास और ईश्वर के प्रति समर्पित आस्था किसी भी व्यक्ति को उसके मंजिल तक पहुंचाने प्रमुख मार्ग हैं.

आपने अपने अनुभवों को साझा करते हुए युवाओं को रोजगार सृजन करने पर जोर दिया. आपने कहा कि यदि मैं रोजगार की तलाश में रहता तो आज एक सामान्य युवक के रूप रह जाता है, इसलिए मेरा मानना है कि आज युवाओं में इतनी क्षमता है कि वे रोजगार सृजन की तरफ अग्रसारित होकर देश की अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में अपनी भूमिका निर्वहन कर सकते हैं.

एक उद्यमी होने के गुर सुझाते हुए आपने कहा कि आत्म विश्वास, धैर्य, संयम, क्षमा, दया और उदारता को आत्मसात करना आवश्यक होता है. किसी ब्रांड को स्थापित करने के लिए आपको सबके अधिक धैर्य की जरूरत होगी. लोग आपकी आलोचना करेंगे, लेकिन आपको अपने लक्ष्य पर अडिग रहना है. आगे चलकर सफल आपका कदम चूमेगी और आलोचना करने वालों की सोच को बदल देगी. व्यवसाय के बढ़ते कदम के साथ-साथ आपको मानवीय मूल्यों को भी आत्मसात करते रहना चाहिए. एक सफल व्यावसायी होने के साथ-साथ समाज के प्रति भी जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं. इसलिए युवा उद्यमियों को शुरुआत से समाजसेवा में जुटे रहना चाहिए. प्रभु के प्रति आस्था स्वस्थ माहौल सृजन के साथ ही स्वस्थ सोच को भी समृद्ध करेगी.

एक व्यावसायी की सफलता के पीछे कई लोगों के हाथ होते हैं. यह बात हमें कभी नहीं भूलना चाहिए. इसलिएल घर से लेकर कार्यालय तक आपको एक स्वस्थ एवं शांत वातावरण बनाये रखने की जरूरत होती है. आपकी सफलता में हर उस व्यक्ति का योगदान होता है, जो आपके साथ जुड़ा होता है. सबका ख्याल रखना एक सफल व्यावसायी की जिम्मेदारी होती है.

डा विजय खंडेलवाल ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और शुभचिंतकों को भी दिया. आपके जीवन-साथी बिमलेश खंडेलवाल भी समाजसेवा से जुड़ी हुईं हैं. आप अपनी तीनों बेटियों कीर्ति, श्वेता और तनीषा के आर्दश हैं.

 

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