भुवनेश्वर. कीट डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर का 17वां दीक्षांत समारोह 14 अगस्त को दिन के 11.00 बजे वर्चुअल मोड में आयोजित होगा. इसके मुख्य अतिथि होंगे भारत सरकार के केन्द्रीय शिक्षा,कौशल विकास तथा इण्टरप्रेनियरशिप मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान. रसायन विज्ञान में 1987 के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर जीन मेरी लेन दीक्षांतवार्ता प्रस्तुत करेंगे. अपनी उल्लेखनीय आध्यात्मिक सेवाओं के लिए श्री माता अमृतानन्दमयी देवी, मां तथा इएनएएम समूह के संस्थापक श्री वल्लभ भानशाली आदि को विश्वविद्यालय की ओर से मानद डाक्टरेट की डिग्री प्रदानकर उन्हें सम्मानित किया जाएगा. जैसा कि सभी जानते हैं कि कीट डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर का एकमात्र ऐसा डीम्ड विश्वविद्यालय है, जहां पर भारत के विभिन्न राज्यों समेत कुल 65 देशों के लगभग तीस हजार युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं. विश्वविद्यालय की ख्याति ऐसी है कि अबतक 22 नोबुल पुरस्कार विजेता कीट डीम्ड विश्वविद्यालय में समय-समय पर पधार चुके हैं. कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने समस्त हितैषियों तथा शुभचिंतकों से यह सादर निवेदन किया है कि उक्त अवसर पर वर्चुअल मोड में उपस्थित होकर समारोह का गौरव बढ़ायें तथा विश्वविद्यालय के डिग्री धारकों का हौंसला बुलंद करें. प्रो. अच्युत सामंत ने कहा कि कोरोना महामारी से पूरी दुनिया ग्रसित है. इस प्रकोप के कारण जबरदस्त उतार-चढ़ाव से साल 2020 गुजरा. वर्ष 2021 की शुरुआत पिछले वर्ष में एक अभूतपूर्व संकट का सामना करने के बाद राहत की सांस के साथ हुई, जिसने जीवन और आजीविका के सभी रूपों को प्रभावित किया था, लेकिन इसमें कुछ महीने के बाद एक बार फिर एक ऐसी कोरोना की लहर को देखा, जो अधिक विनाशकारी थी. इसने हमें इस तरह से घेर लिया कि हमने कोविद-19 को बहुत करीब से देखा. हम सभी ने कुछ नुकसान को देखा और कुछ पर गर्व महसूस किया, जिन्होंने लड़ाई लड़ी, लेकिन हार नहीं मानी. लेकिन अंधेरे के बीच उल्लास और शिक्षाविदों की चमक थी. एक शैक्षणिक वर्ष जिसने अनिश्चितता और अप्रत्याशितता की शुरुआत की और बीमारी अधिक खतरनाक हो गई और टीकाकरण से बाहर हो गई.
कोविद-19 के बीच, एक प्राकृतिक आपदा यश, लॉकडाउन और मानसिक तनाव के कारण गरीबी के बिगड़ते स्तर, 2021 के बैच ने अपनी दृढ़ता और लचीलापन के साथ सभी को आगे बढ़ाया है. कीट डीम्ड यूनिवर्सिटी, जो अपने छात्र-मित्रता, करुणा और मानवतावाद के लिए प्रसिद्ध है, अपने छात्रों के साथ चट्टान की तरह खड़ी रही और उन्हें ऐसे परीक्षण समय में सफलता के लिए लंगर डाला.
कीट ने वह अर्जित किया, जिसका वह हकदार था. कीट ने बहुत ही कम समय में वैश्विक प्रशंसा और प्रतिष्ठा अर्जित की है. लंदन स्थित टाइम्स हायर एजुकेशन, एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 द्वारा भारतीय विश्वविद्यालयों (समग्र) में 30वां स्थान और देश में सामान्य इंजीनियरिंग में 15वां रैंक, बीच में अपनी स्थिति को बरकरार रखा है. भारत में शीर्ष संस्थान पर है.
इसके साथ ही डा सामंत ने कीट के कार्यों और उसकी उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला. साथ ही कोरोना को लेकर किये गये मानवीय कार्यों को भी गिनाया. कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए स्थापित किये गये कोविद अस्पताल की उपलब्धियों को भी बताया. उन्होंने बताया कि विशेष रूप से, महामारी के दौरान भी इसने दान और मानवतावाद के अपने मिशन की दृष्टि नहीं खोई और बीमारी को लेकर कई पहल की है और कोरोना वायरस के खिलाफ ओडिशा के युद्ध में सबसे आगे रहा है. कोविद-19 के खिलाफ ओडिशा के युद्ध में सबसे महत्वपूर्ण उपायों में से एक रहा है कि कीट का एक घटक कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (केआईएमएस). इसने सरकार के समर्थन से 2000 से अधिक बेड के साथ चार अल्ट्रामॉडर्न समर्पित कोविद अस्पताल स्थापित किए. इनमें एक ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में और तीन राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में स्थित हैं. इस दौरान महामारी प्रभावित तीन लाख से अधिक लोगों को खाद्य सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया गया. इनमें विभिन्न मलिन बस्तियों में रहने वाले हाशिए के लोग, फंसे हुए प्रवासी मजदूर शामिल थे.
कीस ने इस दौरान कई उपलब्धियों को हासिल किया. कीट ओडिशा में कोरोना से मृतक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रहा है. यह सुविधा दो शैक्षणिक वर्षों: 2020-21 और 2021-22 के लिए उपलब्ध होगी.
इसके साथ-साथ इस तरह के 100 अनाथ बच्चों की देखभाल करने के लिए और उन्हें मासिक रुपये से लेकर भत्ता प्रदान कर रहे हैं. यह राशि 5000 से 10000 है. कीट-कीस अपने कर्मचारियों के साथ भी परिवार की तरह खड़ा रहता है.