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राजस्व गांव बनाने की प्रक्रिया शुरू, जिलाधिकारियों को दिशानिर्देश जारी
भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार ने 4000 से अधिक बस्तियों को राजस्व गांवों के रूप में घोषित करने के लिए प्रक्रियाओं को शुरू कर दिया है. इसके तहत राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने इस संबंध में जिला कलेक्टरों को दिशा-निर्देश जारी किया है. यह जानकारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में दी गयी है, जिसमें कहा गया है कि इन गांवों को राजस्व गांवों के रूप में घोषित करने से इन राजस्व इकाइयों को सरकार की विकास योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ मिलना सुनिश्चित होगा.
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बस्तियों से नए राजस्व गांवों के निर्माण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
प्रमुख सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग विष्णुपद सेठी ने जिला कलेक्टरों को इस संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा है. नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, नये राजस्व ग्राम घोषित की जाने वाली बस्तियां या टोला 250 या उससे अधिक की आबादी की होनी चाहिए तथा यह अपने मूल राजस्व गांव से आधा किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित होना चाहिए. इसी प्रकार मातृ ग्राम से आधा किलोमीटर के दायरे में स्थित एक गांव को नया राजस्व गांव घोषित करने के लिए 300 से अधिक की आबादी होनी चाहिए. इसके साथ ही प्राकृतिक अवरोध के कारण मूल गांव से अलग हुई बस्ती या टोला को भी एक नए राजस्व गांव के रूप में पुनर्गठित किया जा सकता है. ऐसे मामले में यहां गांव की आबादी 250 से कम भी हो सकती है.
सेठी ने जिलाधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा है कि मौजूदा मूल गांव से नए राजस्व गांव के निर्माण के लिए गोचर और सामूदायिक भूमि के लिए आरक्षण सीमा पर जोर न दें. हालांकि, नवनिर्मित गांव के निवासियों के पास अभी भी मौजूदा गोचर और मातृ गांव में स्थित सामूदायिक भूमि तक पहुंच होगी. सेठी ने स्पष्ट किया है कि सभी सामूदायिक और साथ ही गोचर भूमि आदि दोनों गांवों के लिए सामान्य संपत्ति संसाधन (सीपीआर) होंगे. सेठी ने जिला कलेक्टरों को सूचित करते हुए कहा कि आरक्षण सीमा पर जोर न देकर राज्य अब लगभग 4000 नए गांव बनाएगा, जिससे लोगों को फायदा होगा.