कटक. ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स संग्राहकर्ता इंद्रमणि साहू के निधन से शोक व्याप्त हो गया है. साहू को ग्रामोफोन को रिकार्ड में रखने का शौक था. अक्सर आप सुनते होंगे कि अपने अतीत को संजोए रखने के लिए इंसान के मन में हमेशा से एक इच्छा रही है. इसके साथ ही विभिन्न श्रेष्ठ वस्तुओं, कलाकृतियों और भी बहुत सारी चीजों का संग्रह वह करते रहता है. थाली जैसी दिखने वाली छोटी सी चीज को घूमते हुए ग्रामोफोन पर रखने से और उसमें से निकलती मधुर संगीत की ध्वनि ने उन्हें विज्ञान के उस चमत्कारी आविष्कार का दीवाना बना दिया. उनके मन में ग्रामोफोन रिकॉर्ड्स के प्रति पैदा हुआ एक मोह. अपने युवाकाल में उन्होंने रु.155/- में एक ग्रामोफोन खरीदा और खरीदी अपने जीवन की पहली रिकॉर्ड. वह था माधुरी पंडा की आवाज़ में “न जाओ यमुना …” गीत. इसके बाद रिकॉर्ड्स संग्रह करने का सिलसिला मानो शुरू हो गया. रिकॉर्ड्स के प्रति उनकी कमजोरी का बयान करते हुए उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि सामने अगर उफान भरी नदी हो और अगर मुझे पता चले कि नदी के उस पार एक अच्छी रिकॉर्ड मिलने की संभावना है, तो मैं उसे प्राप्त करने के लिए पानी में कुदकर तैरते हुए उस पार पहुंच जाउंगा.
गांधीजी का भाषण हो या सुभाषचंद्र का आजाद हिंद फौज का वह प्रेरणादायक गीत, पहली ओड़िया फिल्म सीता विवाह की रिकॉर्ड हो, चाहे कई सुप्रसिद्ध कलाकारों के गीत. अपने निजी प्रयास से रिकॉर्ड्स के एक दुर्लभ संग्रह के मालिक इंद्रमणि साहू का कटक रानीहाट स्थित उनके निवास स्थान पर निधन हो गया है. उनकी उम्र 91 वर्ष थी. वृद्धावस्था के कारण वे पिछले कुछ वर्षों से बीमार थे. अंतिम समय में उनके दोनों पुत्र रवीन्द्र तथा जीतेंद्र और परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित थे. उनके निधन से संगीत तथा संस्कृति प्रेमियों के मन में शोक की लहर छा गई है.
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