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नहीं रहीं महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की अंतिम देवदासी पारसमणि देवी

  • उम्र संबंधित बीमारियों के कारण हुआ 87 साल में हुआ निधन

पुरी. महाप्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर की अंतिम देवदासी पारसमणि देवी अब नहीं रहीं. शनिवार दोपहर उनका निधन हो गया. वह 87 साल की थीं. बताया जाता है कि उम्र संबंधी बीमारियों के कारण उनकी मृत्यु हो गई. इससे पहले पारसमणि देवी 11वीं सदी के मंदिर में गीत गा रही थीं. परंपरा के अनुसार, श्री जगन्नाथ मंदिर में एक ‘देवदासी’ रात में भगवान के सामने गाती थीं और नृत्य करती थीं. ऐसा माना जाता है कि मधुर गीत और नृत्य के बीच भगवान सो जाते हैं. एक देवदासी का विवाह भगवान जगन्नाथ से होता है और वह जीवन भर अविवाहित रहती है. यौवन प्राप्त करने के बाद एक लड़की ‘देवदासी’ बन सकती है. जबकि देवदासियों के एक समूह भीतर गायानी गर्भगृह में प्रदर्शन करता है, तो दूसरा समूह बाहर गायानी मंदिर के आंतरिक हिस्से के बाहर प्रदर्शन करती. साथ ही रथयात्रा, नवकलेवर और नंदोत्सव के दौरान ‘देवदासियों’ की विशेष भूमिका होती है. ऐसा माना जाता है कि 1955 में जब ओडिशा सरकार ने शाही परिवार से मंदिर का प्रशासन अपने हाथ में लिया, तो ‘देवदासी’ परंपरा का पतन शुरू हो गया.

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