वक्तव्य में कहा गया कि भारत सरकार सही तथ्यों का पता लगाने की कोशिश कर रही है और जब भी ऐसा कोई आदेश प्राप्त होगा, भारत के हितों की रक्षा के लिए अपने वकीलों से राय-मशविरा करके भारत के हितों को ध्यान में रखकर उचित कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रभाव से लागू एक कानून के तहत भारत सरकार ने केयर्न से कर वसूली की थी। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने इसको लेकर भारत सरकार पर जुर्माना लगाते हुए राशि को ब्याज सहित चुकाने का आदेश दिया था। इसे भारत सरकार ने मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद केयर्न ने दुनियाभर में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के लिए विभिन्न देशों में अपील की। फ्रांस में न्यायालय ने अपने यहां इस तरह का आदेश दिया है जिस पर सरकार की प्रतिक्रिया आई है।
आगे कहा कि भारत सरकार दिसंबर 2020 के अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के मत को रद्द करने के लिए पहले ही 22 मार्च को एक आवेदन हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत में दायर कर चुकी है।
सरकार का कहना है कि केयर्न के सीईओ और प्रतिनिधियों ने चर्चा के जरिये मामले को सुलझाने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया था। इस पर रचनात्मक बातचीत हुई है और सरकार देश के कानून के तहत इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए खुलकर बातचीत करने को तैयार है।
साभार – हिस