कई लोग भगवान शनि के मंदिर जाते हैं। इस दौरान परंपरा के अनुसार कुछ सावधानी रखना भी जरूरी होती है और भी कई बातें हैं, जिनका ध्यान रखना होता है। अन्यथा शनि महाराज कब नाराज होकर आपके लिए संकट खड़ा दें, यह कहा नहीं जा सकता। तो आइए जानते हैं शनि मंदिर जाने और उनके दर्शन करने के नियम।
ऐसा कहा जाता है कि शनि मंदिर में भगवान शनिदेव की प्रतिमा की आंखों में आंखें डालकर देर तक नहीं देखना चाहिए। दर्शन कर सकते हैं परंतु उनके प्रति श्रद्धा का भाव होना चाहिए।
शनिदेव पर तेल चढ़ाना चाहिए, परंतु इस बात का ध्यान रखें कि वह तेल इधर-उधर ना गिरे और खराब तेल ना हो। अच्छे तेल का उपयोग करें। यदि छायादान कर रहे हो तो उस तेल को नहीं चढ़ाते हैं, उसे कटोरी सहित ही शनिदेव के चरणों में रख देते हैं।
शनिदेव की मूर्ति के एकदम सामने खड़े होकर कभी भी पूजा या प्रार्थना ना करें।
शनि मंदिर में यदि बाहर कोई गरीब, अपंग या भीखारी हो तो उसे दान जरूर दें। नहीं दान दे सकते हैं तो कम से कम उनका तिरस्कार ना करें। वहां सभी से अच्छा व्यवहार करें।
शनि मंदिर में किसी भी प्रकार की सांसारिक वार्ता ना करें। चुपचाप अपनी पूजा या प्रार्थना करने के बाद मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ देर के लिए बैठे और लौट आएं।
शनि की पूजा में दिशा का विशेष महत्व होता है। शनि को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है, इसलिए शनि की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखना होता है कि आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर ही होना चाहिए। इसीलिए जहां पर शिलारूप में शनिदेव हो वहीं जाएं।
माना जाता है कि शनिदेव को लाल रंग पसंद नहीं है, इसलिए शनिवार को पूजा में भूलकर भी लाल रंग के फूल या कोई लाल सामाग्री का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
साभार पी श्रीवास्तव
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