Home / National / दिल्ली के निजी स्कूलों के छात्रों को विकास शुल्क से फिलहाल राहत नहीं

दिल्ली के निजी स्कूलों के छात्रों को विकास शुल्क से फिलहाल राहत नहीं

  •  सुप्रीम कोर्ट का हाई कोर्ट के फैसले में दखल से इनकार

  •  कोर्ट ने कहा- दिल्ली सरकार हाई कोर्ट में रखे अपनी बात

नई दिल्ली, दिल्ली में निजी एवं गैरवित्तीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज के दौरान भी वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में दायर याचिका अभी लंबित है, जहां दिल्ली सरकार को अपनी बात रखनी चाहिए।

हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने पिछले 7 जून को कोरोना के दौरान छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने के दिल्ली सरकार के आदेश को निरस्त करनेवाली सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया था। जस्टिस रेखा पल्ली की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने निजी स्कूलों के संगठन एक्शन कमेटी अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट को नोटिस जारी किया था।

हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पिछले 31 मई को दिल्ली सरकार के उन दो आदेशों को निरस्त कर दिया था जिसमें निजी स्कूलों को कोरोना के दौरान छात्रों से वार्षिक और विकास शुल्क नहीं लेने का आदेश दिया गया था। जस्टिस जयंतनाथ ने कहा था कि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि वार्षिक और विकास शुल्क से स्कूल लाभ कमा रहे थे।

सिंगल बेंच के समक्ष दिल्ली के गैर सहायता प्राप्त 450 निजी स्कूलों के संगठन एक्शन कमेटी अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल 2020 और 28 अगस्त 2020 को आदेश जारी कर स्कूलों को वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क वसूलने से मना कर दिया था। इन आदेशों को स्कूलों के फिजिकल खुलने तक लागू किया गया था। इसकी वजह से स्कूल छात्रों से पूरी फीस नहीं वसूल पा रहे हैं।

याचिका में कहा गया था कि ये आदेश जारी करना गैरकानूनी है और शिक्षा निदेशालय के क्षेत्राधिकार के बाहर है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने मॉडर्न स्कूल बनाम केंद्र सरकार के मामले में फैसला दिया था कि फीस बढ़ाने के पहले शिक्षा निदेशालय की अनुमति जरूरी है। दिल्ली सरकार ने कहा था कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है और कई अभिभावकों की नौकरी चली गई है। ऐसे में सामान्य रूप से स्कूल खुले बिना पूरी फीस वसूलना गैरकानूनी है।

सिंगल बेंच ने कहा था कि शिक्षा विभाग को स्कूलों की फीस पर तय करने का अधिकार तभी तक है जब उसे पता चले कि उन फीसों को वसूलने से स्कूलों को व्यावसायिक लाभ हो रहा है। शिक्षा विभाग को शिक्षा की व्यावसायिकता रोकने का अधिकार है लेकिन वो अनिश्चितकाल तक फीसों को वसूलने से नहीं रोक सकता है। सिंगल बेंच ने कहा था कि स्कूलों को किराया, कर, परिवहन, इंश्योरेंस चार्ज, आडिटर्स की फीस, बिल्डिंग और फर्नीचर की रिपेयरिंग एवं रखरखाव में होने वाले खर्च को बंद रहने के दौरान भी वहन करना पड़ता है। अगर ये सारे काम नहीं किए जाएंगे तो स्कूलों की बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान हो सकता है।
साभार – हिस

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

एयर इंडिया और इंडिगो ने दिल्ली-काठमांडू मार्ग पर अपनी उड़ानें रद्द कीं

नई दिल्‍ली। टाटा की अगुवाई वाली एयर इंडिया एयलाइंस और इंडिगो ने नेपाल में सरकार …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *