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अब भारत करेगा सबसे नए वेरिएंट ‘अग्नि प्राइम’ ​मिसाइल का परीक्षण

  •  नई ​मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किमी​.​ से 1500 किमी​.​ तक होगी

  •  ​अग्नि- 4 और ​अग्नि-5 ​की ​तकनीक से विकसित हुई है ‘अग्नि प्राइम’

नई दिल्ली, ​​ ​भारत अगले सप्ताह ​​अग्नि श्रृंखला​ के सबसे नए वेरिएंट ‘अग्नि प्राइम’ ​मिसाइल का ​परीक्षण ​​​​ओडिशा तट पर​ करने की तैयारी कर रहा है​। ​​अत्याधुनिक अग्नि प्राइम को 4,000 किलोमीटर की रेंज वाली ​​अग्नि-4 और 5,000 किलोमीटर की ​​अग्नि-5 मिसाइलों ​​में ​​इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक ​​तकनीकों के साथ विकसित किया गया है।​ नई ​मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किमी​.​ से 1500 किमी​.​ तक होगी​​।​ ​

​कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण तीन महीने ​तक ​​रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ​अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्रों ​की स्थापना, कोविड रोधी दवा 2डीजी​ विकसित करने​, वेंटिलेटर, पीपीई, मास्क ​का इंतजाम करने ​में लगा रहा​।​ अब महामारी ​का प्रकोप कम होने के बाद प्रमुख रक्षा एजेंसी​ अपने मूल पेशेवर भूमिका में दिखने के लिए तैयार है। ​​कोरोना प्रतिबंधों के बीच ​​अगले सप्ताह की शुरुआत में ​28-29 जून को अग्नि श्रृंखला ​की नई ​मिसाइल का परीक्षण​ ​ओडिशा तट पर​ किये जाने की तैयारी है​​।​ मिसाइल के निर्धारित परीक्षण के लिए एयरमेन (नोटम) पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका है। सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो सोमवार को ​मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा​​।​​​​

रक्षा सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में ​​’अग्नि प्राइम’ मिसाइल की स्ट्राइक रेंज 1000 किमी​.​ से 1500 किमी​. तक होगी​।​ डीआरडीओ ने पिछले साल ​सितम्बर और अक्टूबर में छह सप्ताह के भीतर 12 मिसाइ​लें लॉन्च कर​के दुनिया को अचंभित कर दिया था। ​​डीआरडीओ ने​ कोरोना महामारी से पहले आखिरी परीक्षण ​​5 मार्च को ओडिशा तट के एकीकृत परीक्षण रेंज में ​किया था​।​ यह मिसाइल तकनीक सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (​एसएफडीआर) थी, जो भारत को लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल विकसित करने में मदद करेगी।​ ​​​’​अग्नि प्राइम​’​ को 4000 किलोमीटर की दूरी वाली अग्नि-4 और 5000 किलोमीटर की अग्नि-5 मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों के साथ विकसित किया गया है​​।​​​

​​​अग्नि परियोजना से जुड़े एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि ​​अग्नि-I ​​सिंगल-स्टेज​ की मिसाइल है जबकि ‘अग्नि प्राइम’ मिसाइल​ दो चरणों वाली ​है​। ठोस ईंधन वाली ​इस ​मिसाइल को उन्नत रिंग-लेजर गायरोस्कोप पर आधारित जड़त्वीय नेविगेशन सिस्टम ​के जरिये निर्देशित किया जाएगा। दोनों चरणों में समग्र रॉकेट मोटर्स और मार्गदर्शन प्रणाली इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएटर्स से लैस हैं।​ ​डबल-स्टेज अग्नि प्राइम में एक कनस्तर संस्करण होगा, ​जिससे इसे सड़क और​ ​मोबाइल लॉन्चर दोनों से फायर किया जा सकता है। नई प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के कारण पिछले संस्करण की तुलना में कम वजन वाली ​यह ​मिसाइल मारक क्षमता के मामले में अधिक घातक होगी​​।

​भारत की पहली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में ​​​अग्नि- I​ का ​​पहला परीक्षण​ ​मई 1989 में​ ​​किया गया था​। 700 किमी​.​ से 900 किमी​.​ की मारक क्षमता वाली ​​अग्नि-I को 2004 में सशस्त्र बलों में शामिल किया गया था। सफल प्रायोगिक परीक्षणों के बाद ​अग्नि प्राइम ​मिसाइल ​के सशस्त्र बलों में अग्नि-I मिसाइल की जगह लेने की उम्मीद है। भारत के पास ​फिलहाल सबसे महत्वाकांक्षी ​​अग्नि श्रृंखला में पांच मिसाइलें हैं।
साभार – हिस

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