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अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर तीन दिवसीय 9वें मास्को सम्मेलन का आयोजन
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कजाकिस्तान, मंगोलिया, जिम्बाब्वे, सूडान के रक्षा मंत्रियों ने लिया हिस्सा
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कोरोना महामारी से निपटने के लिए सैन्य एजेंसियों की भूमिका पर हुई चर्चा
नई दिल्ली, भारत के रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने मॉस्को के एक सम्मेलन में कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न देशों की सैन्य एजेंसियों की भूमिका पर हुई चर्चा के दौरान भारतीय सेनाओं की भूमिका को सराहा है। ‘कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सैन्य एजेंसियों की भूमिका’ के बारे में आयोजित इस 9वें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा सम्मेलन का आज आखिरी दिन है। भारत-रूस रक्षा संबंधों पर डॉ. अजय कुमार ने सम्मेलन को रणनीतिक साझेदारी का स्तंभ करार दिया। इस सत्र में कजाकिस्तान, मंगोलिया, जिम्बाब्वे, सूडान के रक्षा मंत्रियों और शांति स्थापना के लिए संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव ने सत्र में भाग लिया।
रूसी संघ का रक्षा मंत्रालय 22-24 जून के बीच अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर 9वां मास्को सम्मेलन आयोजित कर रहा है। 2012 से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला सम्मेलन एक महत्वपूर्ण सुरक्षा संवाद है। सम्मेलन में सक्रिय सहयोग, अनुसंधान साझेदारी और एक-दूसरे की ताकत का लाभ उठाने, कोरोना महामारी से लड़ने के लिए आगे के तौर-तरीकों पर चर्चा हो रही है। कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न देशों की सैन्य एजेंसियों की भूमिका के बारे में चर्चा के लिए आयोजित पूर्ण सत्र में भारत के रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार ने भविष्य में ऐसी बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर बुनियादी ढांचे और क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया कि उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग संक्रमण की भविष्यवाणी, डेटा विश्लेषण और अधिक सटीकता के साथ महामारी से निपटने के लिए किया जा सकता है।
भारत-रूस रक्षा संबंधों पर डॉ. अजय कुमार ने उच्च प्रौद्योगिकी रक्षा वस्तुओं के सह-विकास और उत्पादन के लिए भारत के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल होने की रूस की इच्छा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की अगली बैठक के लिए इस वर्ष के अंत में रूसी रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु की भारत यात्रा का इंतजार रहेगा। रक्षा सचिव ने कहा कि भारत ने कोरोना से न केवल अपनी लड़ाई लड़ी बल्कि मित्र देशों को भी मदद पहुंचाई। भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम- ‘दुनिया एक परिवार है’ के अपने प्राचीन विश्वास से प्रेरित होकर बिना किसी हिचकिचाहट के अन्य देशों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) के नेताओं से एक साथ महामारी से मुकाबला करने का आह्वान किया था।
रक्षा सचिव ने रैपिड रिस्पांस मेडिकल टीमों को तैनात करके मित्र देशों को भारत की ओर से दी गई सहायता पर प्रकाश डाला। करीब 150 देशों को विभिन्न प्रकार की चिकित्सा आपूर्ति भेजी गई। भारत ने 120 से अधिक देशों को पेरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति की। ‘वंदे भारत’ मिशन पर उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक अभ्यास था, जिसने भारत में फंसे 120 देशों के एक लाख 20 हजार से अधिक विदेशियों को उनके घरों तक भेजा। साथ ही सात मिलियन लोगों की हवाई और समुद्र से आवाजाही को सक्षम बनाया, जब दुनिया की अधिकांश एयरलाइंस बंद थीं। डॉ. अजय कुमार ने कहा कि आज भारत पीपीई किट का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। महामारी के दौरान भारतीय उद्योगों ने विभिन्न प्रकार की कोरोना संबंधित दवाएं, टीके, वेंटिलेटर, उपकरण, डायग्नोस्टिक किट विकसित करके लगभग 150 देशों को आपूर्ति की।
रक्षा सचिव ने कहा कि अन्य देशों को कोरोना वैक्सीन की 66 मिलियन खुराक देने में भारत का योगदान किसी भी देश के मुकाबले सबसे बड़ा है। उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में रूस को अग्रणी लड़ाकू बताते हुए उम्मीद जताई कि रूसी टीका स्पुतनिक वी भारत में महामारी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में भी स्पुतनिक वी की कुल लगभग 90 करोड़ खुराक का उत्पादन होने की उम्मीद है, जो इसके वैश्विक उत्पादन का 70% है। रक्षा सचिव ने कहा कि डीआरडीओ ने देश की पहली ओरल ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) विकसित की जो कोरोना मरीजों में ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करती है। इसके अलावा डीआरडीओ ने हल्के लड़ाकू विमान एलसीए तेजस पर ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन उत्पादन के लिए विकसित मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट तकनीक का उपयोग करके 500 चिकित्सा ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने की शुरुआत की।
महामारी के दौरान सिविल प्रशासन को सहायता देने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए डॉ. अजय कुमार ने कहा कि पहली लहर के दिनों में सेना ने कई अलगाव सुविधाओं की स्थापना की और चिकित्सा आपूर्ति के लिए विशेष सैन्य ट्रेनें चलाईं। दूसरी लहर के दौरान भारतीय नौसेना ने 11 जहाजों को विदेशों से ऑक्सीजन लाने के लिए तैनात किया जिन्होंने 1,500 मीट्रिक टन से अधिक आपातकालीन तरल चिकित्सा ऑक्सीजन देश में पहुंचाई। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने लगभग 1,800 उड़ानें भरीं और देश एवं विदेश से 15,000 मीट्रिक टन आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की। रक्षा सचिव ने सेवानिवृत्त डॉक्टरों और पैरामेडिक्स सहित अतिरिक्त डॉक्टरों को तैनात करने और सेवा कर्मियों के साथ-साथ नागरिकों के लिए अस्पतालों में चौबीसों घंटे काम करने के लिए एएफएमएस की भी सराहना की।
साभार – हिस