कुशीनगर, सेवा क्षेत्र में कार्य करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठन ‘सेवा भारती’ के प्रयासों से सुधा और उसके परिवार के जीवन में नया सबेरा आ गया है। जिला अस्पताल में भर्ती सुधा को शनिवार को अस्पताल से छुट्टी मिली और वह अपनों के साथ गांव लौट आई है। इनकी खुशियां हिलोरें मार रहीं हैं। एक ‘अस्वस्थ व अंतहीन’ डगर पर बढ़ चुका यह कुनबा, अब ‘स्वस्थ भविष्य’ की कल्पनाओं में खोया हुआ है।
दरअसल, नगर पालिका कुशीनगर की अनिरुधवां निवासिनी सुधा, उसका नवजात शिशु और पति तीनों ही बीमार थे। उसके पति के रीढ़ की हड्डी टूटने से वह लाचार हो गया। चारपाई पर पड़े रहने की विवशता ने उसे गर्भवती पत्नी सुधा की देखरेख की जिम्मेदारी से दूर कर दिया। चाहकर भी वह अपनी पत्नी के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा था। इसी बीच सुधा ने एक नवजात को जन्म दिया, लेकिन इसकी खुशी पति की पीड़ा के आगे कुछ भी नहीं था। प्रसव के बाद सुधा भी पीड़ा में रहने लगी। शरीर का पोर-पोर दर्द और पीड़ा से नीला पड़ने लगा था। धीरे-धीरे चार महीने से अधिक का समय बीत गया। इस बीच सुधा को संतुलित आहार नहीं मिलने से खून की कमी हो गयी। नवजात भी कुपोषित हो गया। मां-बेटा दोनों के शरीर का मांस गल गया। मानो पेट-पीठ चिपक कर एक ही गए। शरीर की हड्डियां साफ-साफ दिखाने लगीं। बावजूद इसके किसी भी संगठन या सरकारी मातहत ने इस परिवार की सुधि लेने की जहमत नहीं उठाई। परिवार टूट गया और मौत की राह निहारने को मजबूर हो गया। जीवन के सपने सँजोने वाली आंखों में मौत का खौफ झलकने लगा था।
…और शुरू हुई ‘सेवा भारती’ की ‘सेवायात्रा’
इस परिवार के बारे में सबसे पहले सेवा भारती के चिकित्सक डॉ शुभलाल को हुई। उन्होंने उसी दिन सुधा के घर पहुंचकर पति को ट्रीटमेंट दिया। बेल्ट बांधकर सुधा के पति को आराम का अहसास कराया। फिर अगले दिन डॉ मनोज कुमार जैन ने अपना जन्मदिन इस परिवार के साथ मनाया। इलाज किया और दवाएं उपलब्ध कराई। इसी दिन डॉ सीमा गुप्ता ने सुधा को परामर्श दिया। अपने क्लिनिक ले आईं। प्राथमिक इलाज किया। नवजात के स्वास्थ्य के लिए बालरोग विशेषज्ञ से सलाह-मशविरा किया।
शुरू हुई प्रशासनिक सहयोग की कोशिश
आरएसएस के जिला संघचालक डॉ चंद्रशेखर सिंह, सेवा भारती के अध्यक्ष डा. रामप्रीत मणि त्रिपाठी और संपर्क प्रमुख राजीवनयन द्विवेदी ने कसया के एसडीएम ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोहरा को मामले से अवगत कराया। जानकारी के कुछ घंटे बाद ही प्रशासनिक अमला में तेजी दिखी। सुधा, उसके पति व नवजात के इलाज का सरकारी प्रबंध धरातल पर आने लगा।
…और स्वस्थ होकर घर लौटे सुधा-नवजात, एक हुआ कुनबा
शनिवार को सुधा और उसका नवजात घर लौट आये। स्वस्थ हो रहे पूरा परिवार के मिलन का वक्त सुखदायी रहा। एक-दूसरे की आंखों से झर-झर झरने वाले आंसू इनकी खुशियों की गवाही दे रहे थे। इनमें स्वस्थ जीवन की आई आस आंखों में संजोए गए सपनों को साकार करने की दिशा में बढ़ने को प्रेरित कर रहे थे। इस परिवार की यह उम्मीद, समाज के ना-उम्मीद लोगों के चेहरों पर तमाचा बन कर गिर रहा था। सभी बेशर्म चेहरों को झुकने पर मजबूर कर रहा था।
बोले आरएसएस जिला संघचालक
कुशीनगर के जिला संघचालक डॉ चंद्रशेखर सिंह का कहना है कि यह एक मानवीय कृत्य है। सबके भीतर संवेदनाओं का संवेग है। बस, एहसास करने की जरूरत है। संवेदनाओं के इसी संवेग को सेवा भारती महसूस करती है। यही वजह है कि हम सुधा के घर तक पहुंच पाए। समय से सरकारी सपोर्ट मिलने से यह परिवार इस संकट से उबर पाया। समाज के लोगों ने इसे बहुत सपोर्ट किया। तीन यूनिट खून दिया। घर पर चूल्हा जलाने की चिंता की। हालांकि, अभी सुधा की बच्चेदानी में गांठ है। इसके ऑपरेशन का प्रबंध किया जाएगा।
साभार – हिस
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