-
– दोनों मोर्चों पर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण है सम्मेलन
-
जरूरत पड़ने पर युद्ध की स्थिति के लिए खुद को तैयार करने पर भी होगी चर्चा
नई दिल्ली, पाकिस्तान से लगी पश्चिमी और चीन से लगी उत्तरी सीमा पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए थल सेना के कमांडरों का दो दिवसीय सम्मेलन गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हो गया है। सेना का शीर्ष नेतृत्व दोनों मोर्चों पर मौजूदा सुरक्षा और परिचालन स्थिति की समीक्षा करने के साथ ही भविष्य के रोडमैप पर भी विचार करेगा। सम्मेलन में सेना प्रमुख और उप प्रमुखों के अलावा 6 ऑपरेशनल या क्षेत्रीय कमांड के कमांडर और 1 प्रशिक्षण कमांड शामिल हो रहे हैं।
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के नेतृत्व में थल सेना के कमांडरों का यह सम्मेलन अप्रैल माह में 26 से 30 तारीख तक होना था लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था। अब यह दो दिवसीय सम्मेलन आज से राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हुआ है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान के साथ जारी संघर्ष विराम के मुद्दे और चीन सीमा (एलएसी) पर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा किये जाने के मद्देनजर सेना कमांडरों का यह सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय सेना ने पाकिस्तान से संघर्ष विराम की सहमति बनने के बाद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है।
उधर, भारत और चीन के बीच 10 अप्रैल को 13 घंटे चली 11वें दौर की सैन्य वार्ता में एलएसी के साथ गोगरा, डेप्सांग और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों से विस्थापन प्रक्रिया पर फिलहाल कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसके बावजूद दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बकाया मुद्दों को तेजी से सुलझाने और किसी भी तरह की नई घटन सेा बचने पर सहमत हुए हैं। भारतीय पक्ष इन विवादित बिंदुओं के शीघ्र विघटन की उम्मीद कर रहा है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में दोनों पक्ष पहले ही सबसे महत्वपूर्ण पैन्गोंग झील क्षेत्र से हट चुके हैं लेकिन अभी भी आगे के स्थायी स्थानों पर विस्थापन होना बाकी है।
सम्मेलन में सेना के कमांडरों के बीच फरवरी में भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन निदेशक (डीजीएमओ) के बीच हुए समझौते के बाद युद्धविराम के सख्त पालन पर चर्चा करनी है। संघर्ष विराम के बाद मार्च के महीने से एलओसी पर दोनों पक्षों की बंदूकें पूरी तरह से मौन बनी हुई हैं। मार्च में एलओसी के पार से घुसपैठ की कोशिशें भी नहीं हुई हैं। दक्षिण, पश्चिमी और मध्य थल सेना के कमांडर-इन-चीफ की बैठक में इस बात पर भी चर्चा होनी है कि जरूरत पड़ने पर युद्ध की स्थिति के लिए खुद को कैसे तैयार किया जाए।
भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी पर शांति-समझौते के 100 दिन पूरे होने पर कश्मीर घाटी के दौरे पर गए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि फिलहाल संघर्ष विराम जारी है लेकिन इसे सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर स्थितियां अनुमति देंगी तो जम्मू-कश्मीर में सैनिकों की संख्या कम की जा सकती है। इसी तरह सेना प्रमुख ने चीन को भी स्पष्ट संदेश दिया है कि पूर्वी लद्दाख के सभी विवादित क्षेत्रों से सैनिकों की पूरी तरह वापसी होने के बाद ही तनाव खत्म हो सकता है। भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी तरह का एकतरफा बदलाव नहीं होने देगी और इन क्षेत्रों में हर तरह की चुनौतियां स्वीकार करने के लिए तैयार है।
साभार – हिस