कोलकाता, विधायक और मंत्री रहकर सुर्खियों में रहने वाले मानस भुइयां ममता बनर्जी के खास सिपहसालारों में एक हैं। उन्हें पश्चिम मेदिनीपुर के सबंग विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस ने फिर से उम्मीदवार बनाया है जहां इस बार भी उन्हें अपनी जीत की उम्मीद है।बुधवार को “हिन्दुस्थान समाचार” से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि यह सच है कि लोकसभा चुनाव के समय उनकी विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी को अधिक वोट मिले थे। इस बार तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाली अमूल्य माइती को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने कहा कि तृणमूल से भाजपा में आए उम्मीदवार को लोग स्वीकार नहीं कर पा रहे, इसलिए मेरी जीत तय है।
पिछले दिनों आवास योजना का लाभ न मिलने पर स्थानीय लोगों ने मानस भुइयां घेराव कर प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन्होंने एक कार्यकर्ता को सार्वजनिक रूप से थप्पड़ जड़ दिया था। इसका वीडियो वायरल होने पर मानस की आलोचना हुई थी। इसे लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि मानस को अपनी जीत का भरोसा नहीं, इसीलिए आपा खो रहे हैं।
कांग्रेस के बड़े नेता थे मानस
भुइयां ने 1982 से 2017 तक कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी। हिन्दुस्थान समाचार से वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि सीपीएम ने हमारी धान की जमीनों को कब्जा लिया है। ममता बनर्जी ने 2011 में कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के बाद मुझे कैबिनेट में पद दिया था। ममता सरकार से कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद मैंने मंत्री पद छोड़ दिया था। पार्टी की गतिविधियां संतोषजनक नहीं लगने के बाद मैंने तृणमूल का दामन थामा और उसके बाद तृणमूल ने मुझे राज्यसभा भेजा। उन्होंने कहा कि मैं 47 सालो तक कांग्रेस में था। जगाई-मधाई (अधीर चौधरी- अब्दुल मन्नान) ने मुझे निलंबित कर पार्टी से निकाल दिया। क्योंकि मैंने सुजन चक्रवर्ती को पीएसी के पद पर जाने नहीं दिया। मुझे राजनीति में किसी को परीक्षा देने की जरूरत नहीं है।
मानस का राजनीतिक जीवन
मानस ने अपनी राजनीति की शुरुआत के बारे में बताया कि स्नातक परीक्षा के लिए कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया था। तभी से मैं राजनीति के अखाड़े में हूं। 1982 में मैं प्रणब मुखर्जी की प्रेरणा से कांग्रेस का उम्मीदवार बना। मैं केवल 2001 के विधानसभा चुनाव में केवल एक बार हारा। उन्होंने आरोप लगाया कि 42 बूथों पर सीपीएम ने बंदूकों के बल पर मतपत्र लूट लिए थे। वर्ष 1982 से 1996 तक, फिर 2003 से 24 जुलाई 2017 तक मैं विधायक रहा था। इसके बाद 23 अगस्त 2010 से 16 जनवरी, 2011 तक मैं प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष था। कुछ समय के लिए सिंचाई, जलमार्ग, लघु उद्योग और कपड़ा मंत्री भी रहा। इसके बाद 19 अगस्त, 2017 को सांसद बना। उसके बाद उनकी पत्नी गीतारानी भुइयां ने सबंग से जीत दर्ज की।
चिटफंड कंपनियों से भी जुड़ा रहा है नाम
पश्चिम बंगाल की बहुचर्चित चिटफंड कंपनियों के साथ भी मानस भुइयां का नाम जुड़ा रहा है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ दिन पहले उन्हें केंद्रीय एजेंसी ने ’आईकोर’ चिट फंड-साजिश में तलब किया था। उन्होंने दावा किया कि पूरा मुद्दा राजनीति से प्रेरित था और इससे वोट पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मेरी जीत तय है। उल्लेखनीय है कि सबंग विधानसभा क्षेत्र में मतदान दूसरे चरण में एक अप्रैल को मतदान होना है।
साभार – हिस
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