भुवनेश्वर. केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राज्य सरकार से एसीईबीसी व ओबीसी वर्ग को शीघ्र आरक्षण देने की मांग की है. उन्होंने ओडिशा के सामाजिक व शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग एसईबीसी को शिक्षा क्षेत्र में व अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी के लिए दोनों नौकरी व शिक्षा के क्षेत्र में संविधान द्वारा अनुमोदित 27% आरक्षण की सुविधा देने का अनुरोध किया है. प्रधान ने नई दिल्ली में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में यह अनुरोध किया.
प्रधान ने कहा कि मोदी सरकार ने देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए शिक्षा व नौकरी के क्षेत्र में 10% आरक्षण का प्रावधान किया है और उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसे भी राज्य सरकार लागू करने के लिए कदम उठाएगी.
प्रधान ने कहा कि यह मांग काफी पुरानी है. ओडिशा की कुल जनसंख्या के 54% ओबीसी एससी बीसी वर्ग के हैं, लेकिन इस वर्ग के लोग शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में अवसरों से वंचित हो रहे हैं. इस कारण उनका सामाजिक व आर्थिक विकास नहीं हो पाया है. इसलिए इससे पूर्व उन्होंने 2019 के जुलाई में, 2020 के जनवरी में तथा 2020 के दिसंबर में मुख्यमंत्री को तीन बार पत्र लिखा था. इन पत्रों में ओबीसी वर्ग को दोनों नौकरी व शिक्षा के क्षेत्र में तथा एससी बीसी वर्ग को शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण देने के लिए उन्होंने अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि देश में तीन दशकों से यह लागू हो चुका है, लेकिन ओडिशा की सरकार इसे क्यों नहीं लागू कर रही है.
उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों में रोजगार व शिक्षा के क्षेत्र में कम से कम 27% आरक्षण की व्यवस्था लागू की है, जबकि कर्नाटक तमिलनाडु और केरल राज्य में इन जातियों की जनसंख्या से अधिक भाग के कारण वहां अधिक आरक्षण की व्यवस्था लागू की है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार विशेष परिस्थितियों में आरक्षण को निश्चित सीमा से भी अधिक किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास ओबीसी की सूची है, जबकि राज्य सरकार के पास भी सूची है. ओबीसी की सूची को ले सकते हैं, जो शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में आरक्षण उपलब्ध कराने में उपयोगी साबित हो सकेगा. इसलिए समाज के संविधानिक अधिकार से वंचित ना किया जाए.