 नई दिल्ली, झारखंड के प्रदीप सिंह, केरल के अब्राहम वीसी और उत्तर प्रदेश के मेहताब अली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का शुक्रिया अदा करते नहीं थकते। इनका मानना है कि अगर केंद्र सरकार ने ‘हुनर हाट’ का मंच उपलब्ध न कराया होता तो उनको राष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर व उत्पाद को प्रचारित प्रसारित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती और आर्थिक खुशहाली उनसे कोसों दूर होती।
नई दिल्ली, झारखंड के प्रदीप सिंह, केरल के अब्राहम वीसी और उत्तर प्रदेश के मेहताब अली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का शुक्रिया अदा करते नहीं थकते। इनका मानना है कि अगर केंद्र सरकार ने ‘हुनर हाट’ का मंच उपलब्ध न कराया होता तो उनको राष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर व उत्पाद को प्रचारित प्रसारित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती और आर्थिक खुशहाली उनसे कोसों दूर होती।
राजधानी दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में चल रहे 26वें ‘हुनर हाट’ में देश भर के कारीगरों, हुनरमंदों, दस्तकारों, शिल्पकारों और खानसामों का जमावड़ा है। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए ये कारीगर, हुनरमंद न सिर्फ यहां अपने उत्पाद को पेश कर उसकी व अपनी पहचान बना रहे हैं, बल्कि थोक भाव में ऑर्डर लेकर स्वयं के साथ-साथ कई औरों के लिए जीविका का माध्यम बन रहे हैं।
झारखंड के मूल निवासी प्रदीप सिंह पिछले कई वर्षों से दिल्ली में ही रहकर अपना काम कर रहे हैं। ‘हुनर हाट’ में प्रदीप ने शहद, एलोवेरा और हर्बल प्रोडक्ट का स्टॉल लगाया है। वे बताते हैं कि पिछले तीन साल से ‘हुनर हाट’ में अलग-अलग शहरों में जाकर अपना स्टॉल लगा रहे हैं। इस दौरान उन्हें जो थोक ऑर्डर मिले हैं, उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही। कई बार तो उन्हें या तो ऑर्डर रद्द करना पड़ता है या फिर उसकी डिलीवरी की अवधि बढ़ानी पड़ी है।
प्रदीप बताते हैं कि वे शहद और दूसरे उत्पाद बिहार के ग्रामीण इलाकों और झारखंड के खासतौर पर आदिवासी इलाकों से एकत्र कर उसकी सफाई आदि आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर पैकिंग कराते हैं। फिर उसे बाजार में उपलब्ध कराते हैं। प्रदीप बताते हैं कि वे अपने उत्पाद में किसी भी तरह का कोई केमिकल इस्तेमाल नहीं करते हैं। एलोवेरा साबून और दूसरे उत्पाद भी उनके मिलावट रहित हैं। उनके उत्पाद का नाम ‘हनी नेटी गोल्ड’ है।
बातचीत के दौरान प्रदीप ने बताया कि पहले वे निजी क्षेत्र में नौकरी करते थे। किंतु, वह उन्हें रास नहीं आई। इस कारण उन्होंने छोटे स्तर पर शहद की बिक्री का व्यवसाय़ शुरू किया। हालांकि, मुनाफा बहुत नहीं था, क्योंकि बड़े ब्रांड की कंपनियों से बाजार अटा पड़ा था। इसलिए उन्होंने छोटे कस्बों का रुख किया। इस बीच, ’हुनर हाट’ के बारे में पता चला और उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन कराया। उसके बाद से अब तक पांच शहरों में इस प्लेटफार्म के माध्यम से स्टॉल लगा चुके हैं।
वहीं केरल के अब्राहम वीसी कृषि उत्पादों के जरिए अपनी आजिविका कमाते हैं। पलक्कड़ जिले के मूल निवासी अब्राहम कहते हैं कि ‘हुनर हाट’ में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात है। अब्राहम अलग-अलग राज्यों में पिछले तीन साल से वे स्टॉल लगा रहे हैं। अब्राहम के स्टॉल पर केला समेत कई प्रकार के चिप्स, हलवे की वैरायटी सजी नजर आ रही है। साथ ही फुटकर ग्राहकों का जमावड़ा भी लगता है।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के मेहताब अली लकड़ी का काम करते हैं। लकड़ी से बने कीरिंग, छल्ले और सजावट के ढेरों सामान उनके स्टॉल पर सजे हैं। मेहताब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रशंसक हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार और मुख्तार अब्बास नकवी ने उन जैसे छोटे शिल्पकारों, दस्तकारों को सम्मान से आजीविका कमाने और बड़े स्तर पर अपनी और अपने हुनर की पहचान दिलाने का मौका दिया है।
साभार-हिस
 
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