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तेजस-अर्जुन के बाद अब यूएवी मिशन रुस्तम-2 पर फोकस

  •  ट्रायल का दूसरा चरण अप्रैल में, 27 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे तक उड़ान भरेगा

  •  अगले चरण में 30 हजार फीट पर 24 घंटे तक उड़ान भरकर परीक्षण किया जायेगा

नई दिल्ली, एलसीए तेजस और अर्जुन टैंक के बाद अब डीआरडीओ ने यूएवी मिशन रुस्तम-2 पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है। पिछले साल अक्टूबर में सफल परीक्षण के बाद अब ट्रायल के दूसरे चरण में रुस्तम-2 अप्रैल में 27 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे तक उड़ान भरेगा। इसके बाद अगले चरण में 30 हजार फीट पर 24 घंटे तक उड़ान भरकर परीक्षण किया जायेगा। ​स्वदेशी रूप से विकसित इस मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) को रणनीतिक टोही और निगरानी कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ​(डीआरडीओ) ​द्वारा विकसित किए जा रहे ​​​रुस्तम-2​ को अप्रैल में मील का पत्थर हासिल करने का लक्ष्य दिया गया है​​। ​​ट्रायल के दूसरे चरण में यह कर्नाटक के चित्रदुर्ग में ​27 हजार फीट की ऊंचाई पर​ ​18 घंटे तक उड़ान भरेगा​​​​।​ ​इसके अगले चरण में 30 हजार फीट पर 24 घंटे तक उड़ान भरकर परीक्षण किया जायेगा।​ ​पहले चरण के परीक्षण में पिछले साल ​10 ​अक्टूबर ​को 16,000 फीट की ऊंचाई पर आठ घंटे तक सफलतापूर्वक उड़ान भरी​ थी​​​।​ ​​रक्षा मंत्रालय वर्तमान में इजरायल एयरोस्पेस उद्योग के साथ बातचीत कर रहा है, ताकि न केवल हेरॉन ड्रोन के मौजूदा बेड़े को अपग्रेड किया जा सके, बल्कि मिसाइल और लेजर गाइडेड बमों के साथ हवा से सतह पर मार करने के काबिल बनाया जा सके​​​। रुस्तम-2​​ भारतीय वायुसेना और नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले इजरायली हेरॉन मानवरहित हवाई वाहन से बेहतर मुकाबला करेगा। ​​​​​​​
​एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ​​स्वदेशी रूप से विकसित यूएवी के बारे में कहा ​कि इसे रणनीतिक टोही और निगरानी कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है। ​सैन्य हार्डवेयर विकसित करने के भारत के पिछले प्रयास बहुत सफल नहीं हुए,​ इसलिए देश को अपनी सैन्य आवश्यकता का 60% से अधिक आयात करने के लिए मजबूर ​होना पड़ा​। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश है।​ इसके बावजूद ​भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल जैसे देशों से महंगे आयात पर निर्भर था।स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (​सीपरी) के अनुसार चीन ने न केवल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए ड्रोन का निर्माण किया है, बल्कि 2008 से 2018 तक 13 देशों में 163 बड़े हथियार-सक्षम यूएवी का निर्यात भी किया है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे और ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा के लिए भी पाकिस्तान को 4 ड्रोन दिए हैं।
स्वदेशी रूप से अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों के उत्पादन ​में ​भारत को ​’आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए ​​पिछले साल सरकार ने तोपों​, गोला-बारूद​, पारंपरिक पनडुब्बियों और मिसाइलों ​समेत 101 रक्षा उपकरणों ​के आयात ​पर प्रतिबंध लगा​ दिया।​ ​रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के लिए ​​स्वदेशी युद्धक टैंक अर्जुन मार्क​-​1ए को भारतीय सेना को सौंप दिया​​। ​हालांकि अभी अर्जुन टैंक का ऑर्डर एचएएल को नहीं दिया गया है लेकिन जल्द ही यह सौदा होने की उम्मीद है​।​ ​एक पखवाड़े पहले ​हिन्दुस्तान ​एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को ​​83 हल्के लड़ाकू विमान​ ​(एलसीए) तेजस ​एमके-1ए के लिए 48​ हजार ​करोड़ का ​ऑर्डर दिया गया है।​​तेजस की इस डील से करीब 500 भारतीय कंपनियों को फायदा होगा जो विमान के अलग-अलग पुर्जे देश में ही बनाएंगी।​ एलसीए तेजस ​एमके-1ए का एचएएल को ऑर्डर मिलना स्वदेशी सैन्य उड्डयन सेवा में अब तक का सबसे बड़ा सौदा ​है​​।​
​क्या है ​रुस्तम-2​ ​की खासियत
डीआरडीओ ने ​रुस्तम-2​ को सेना की मदद करने के लिए बनाया है​। ​यह ऐसा ड्रोन है जो दुश्मन की निगरानी करने, जासूसी करने, दुश्मन के ठिकानों की फोटो खींचने के साथ दुश्मन पर हमला करने में भी सक्षम है​।​अमेरिका आतंकियों पर हमला करने के लिए ऐसे ड्रोन का अक्सर इस्तेमाल करता रहता है​। उसी तर्ज पर डीआरडीओ ने सेना में शामिल करने के लिए ऐसे ड्रोन बनाए हैं। सितम्बर, 2019 में पहली टेस्टिंग के दौरान यह क्रैश हो गया था​​।​​ इसके बाद पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध शुरू होने के बाद डीआरडीओ ने ​फिर रुस्तम-2​ प्रोग्राम शुरू किया। इस विमान को तापस बीएच-201 भी कहते हैं​​।​ रुस्तम-2 अमेरिकी ड्रोन प्रिडेटर जैसा है जो दुश्मन की निगरानी से लेकर हमला करने में सक्षम है।
उड़ान के दौरान​ नहीं करता ज्यादा शोर
रुस्तम-2 को डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिसमेंट ने ​एचएएल के साथ पार्टनरशिप करके बनाया है।​इसका वजन करीब 2 टन का है​। विमान की लंबाई 9.5 मीटर की है​।​ रुस्तम-2 के पंखे करीब 21 मीटर लंबे हैं​।​यह 224 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भर सकता है​।​ ​रुस्तम-2 कई तरह के पेलोड्स ले जाने में सक्षम है​।​इसमें सिंथेटिक अपर्चर राडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम और सिचुएशनल अवेयरनेस पेलोड्स शामिल हैं​।​रुस्तम-2 ​में लगे कैमरे 250 किलोमीटर तक की रेंज में तस्वीरें ले सकते हैं​।​रुस्तम-2 यूएवी उड़ान के दौरान ज्यादा शोर नहीं करता है​।​ ​​​यह पनडुब्बी से ​भी ​उड़ान भरने में सक्षम है​।​
साभार-​हिस

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