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मातृभाषा को प्रोत्साहन दें : नायडू

मेंगलुरु – उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मातृभाषा दृष्टि की तरह है। इसलिए इसे प्रोत्साहन और प्रचारित किए जाने की जरूरत है, जबकि बाकी भाषाएं चश्मे की तरह हैं। वेंकैया नायडू यहां शनिवार को सूरतकल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कर्नाटक (एनआईटीके) के 17वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि एनआईटीके तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में 60 साल की उत्कृष्ट सेवा के उपलक्ष्य में आज हीरक जयंती मना रहा है। अपने प्रबंधन, कर्मचारियों और छात्रों के समर्पित प्रयासों से यह संस्थान तकनीकी शिक्षा, अनुसंधान और आउटरीच गतिविधियों के लिए उत्कृष्टता का केंद्र होने की प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। वेंकैया नायडू ने कहा कि आज युवाओं को चुनौतियों का सामना करने और सभी से ऊपर उठाने की जरूरत है। डिजीटल तकनीक ने भ्रष्टाचार से प्रभावी ढंग से निपटने और हमारे शासन को और अधिक पारदर्शी बनाने में मदद की है। 
इससे पूर्व इस दीक्षांत समारोह में 1,545 छात्रों ने स्नातक के अपने प्रमाण पत्र प्राप्त किये। चालीस छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किये गये। एनआईटीके के निदेशक प्रोफेसर उमामहेश्वर ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर जिला प्रभारी मंत्री कोटा श्रीनिवास पूजारी समेत अन्य अनेक गणमान्य भी उपस्थित थे।

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