नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन की गई 5.56×30 मिलीमीटर सुरक्षात्मककार्बाइन का सभी जीएसक्यूआर मापदंडों को पूरा करते हुए उपयोगकर्ता परीक्षणों के अंतिम चरण से गुजरते हुए सफल परीक्षण किया गया। इससे सेवाओं में इसे शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह उपयोगकर्ता परीक्षणों की श्रृंखला में होने वाले परीक्षणों का अंतिम चरण था, जो गर्मियों में बहुत अधिक तापमान और सर्दियों में उच्च अंक्षाशो की स्थिति में किया गया है। जेवीपीसी ने डीजीक्यूए द्वारा आयोजित गुणवत्ता परीक्षणों के अलावा विश्वसनीयता और सटीकता के कड़े प्रदर्शन मानदंडों को भीसफलतापूर्वक पूरा किया है।
जेवीपीसीएक गैस परिचालित सेमी बुल-प्यूप ऑटोमैटिक हथियार है, जिससे 700 आरपीएम से भी अधिक दर से फायर किया जा सकता है। इस कार्बाइन की प्रभावी रेंज 100 मीटर से भीअधिक है। इसका वजन लगभग तीन किलोग्राम है और इसमें उच्च विश्वसनीयता, कम पुनरावृत्ति, रिट्रेक्टेबल बट, एर्गोनोमिक डिजाइन, सिंगल हैंड फायरिंग क्षमताऔर विविध पिकाटिनी रेल्सजैसी प्रमुख विशेषताएं मौजूद है। ये विशेषताएं इसे बहुत शक्तिशाली हथियार बनाती हैं, जो इसे सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इसका उग्रवाद/आतंकवाद के नियंत्रण संबंधी परिचालनों के लिए उपयुक्त बनाता है।
इस कार्बाइन को आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट पुणे आधारित डीआरडीओ की प्रयोगशालाद्वारा भारतीय सेना के जीएसक्यूआर के अनुसार डिजाइन किया गया है। यह हथियार स्माल आर्म्स फैक्ट्री, कानपुर में विनिर्मित हैऔर इसकेगोला बारूद का निर्माण किर्की पुणे में किया जाता है।
इस हथियार में एमएचएपरीक्षण पहले ही पास कर लिये है और इसकी खरीदारी कार्रवाई सीएपीएफ और विभिन्न राज्य पुलिस संगठनों द्वारा शुरू की गई है।रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में डेफएक्सपो- 2020 के दौरान इस कार्बाइन का अनावरण किया था।
सचिव डीडी आरएंडडी और अध्यक्ष डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. सतीश रेड्डी ने डीआरडीओ टीम, उपयोगकर्ता टीम और इस कार्बाइन के विनिर्माण में शामिल सभी सार्वजनिक और निजी एजेंसियों को यह उपलब्धि सफलतापूर्वक हासिल करने के लिए बधाई दी है।
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