नई दिल्ली। बेंगलुरु टेक समिट को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि औद्योगिक युग की उपलब्धियां अब बीते समय की बात हो गई हैं। अब हम सूचना युग के मध्य में हैं। भविष्य तेजी से हमारी ओर बढ़ रहा है इसलिए हमें पिछली सदी की सोच को जल्दी से जल्दी छोड़ना होगा। औद्योगिक युग में बदलाव रेखाकार (लाइनियर) था, लेकिन सूचना युग में बदलाव काफी बड़ा और बाधाकारी होगा। औद्योगिक युग में बाजार में पहले पहुंचने वाले उत्पाद या सेवा को फर्स्ट मूवर लाभ मिलता था, लेकिन सूचना युग में इस लाभ का कोई अर्थ नहीं रखेगा, सिर्फ उसका महत्व होगा, जो श्रेष्ठ उत्पाद या सेवा दे। कोई भी किसी भी समय कोई ऐसा उत्पाद या सेवा तैयार कर सकता है, जो बाजार की मौजूदा अवस्था को बाधित कर सकता हो।
उन्होंने कहा कि औद्योगिक युग में, सीमाओं का महत्व था, लेकिन सूचना युग में हम सीमाओं से परे चले जाते हैं। औद्योगिक युग में कच्चे माल को प्राप्त करना मुख्य चुनौती थीऔर केवल कुछ ही लोगों की इस तक पहुंच थी। सूचना युग में कच्चा माल, जो कि सूचना है, हमारे सामने हर जगह है और हर किसी की उस तक पहुंच है। भारत की एक देश के तौर पर स्थिति ऐसी हैकि वह सूचना युग में काफी आगे जा सकता है। हमारे पास श्रेष्ठ प्रतिभाएं हैं और साथ ही एक बहुत बड़ा बाजार है। हमारे स्थानीय टेक समाधानों में वैश्विक होने की संभानाएं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक बहुत ही माकूल जगह पर है। आज के समय जो टेक समाधान भारत में डिजाइन होते हैं, वे पूरे विश्व में लागू होते हैं।
हमारे नीतिगत निर्णय हमेशा टेक और नवाचार उद्योग को उदार बनाने पर लक्षित होते हैं। हाल में शायद आपने सुना होगा, हमने सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग पर पड़ने वाले अनुपालन के बोझ को कई प्रकार से कम किया है और भारत के लिए एक भविष्योन्मुखी नीति संरचना तैयार की है।आप सभी इस उद्योग के वाहक हैं। क्या हम पूरी तरह सचेत होकर अपने उत्पाद संबंधी नवाचार को उच्च स्तर तक ले जाने का प्रयास कर सकते हैं। किसी उत्पाद की रूपरेखा तैयार करने वाला मानस बहुत से सफल उत्पादों को तैयार करने की क्षमता रखता है। रूपरेखा तैयार करने का काम वैसा ही है, जैसे कई लोगों को मछली पकड़ना सिखाना और उसके लिए उन्हें न सिर्फ जाल मुहैया कराना, बल्कि मछलियों से भरी हुई झील मुहैया कराना भी है।
रूपरेखा तैयार करने वाले मानस का एक उदाहरण यूपीआई है। उत्पाद स्तर की परम्परागत सोच का मतलब होता कि हम सिर्फ एक डिजिटल भुगतान उत्पाद लेकर आते। इसकी जगह हमने भारत को यूपीआई दिया। एक ऐसा समाधानों का समुच्चय जहां हर व्यक्ति अपने डिजिटल भुगतान उत्पादों के जरिए भुगतान कर सकता है। इसने कई उत्पादों को सशक्त बनाया। पिछले महीने इस तरह के 2 बिलियन से ज्यादा वित्तीय लेन-देन दर्ज किए गए। हम राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान में भी ऐसा ही कुछ कर रहे हैं। आपमें से कुछ ने ‘स्वामित्व योजना’ के बारे में अवश्य सुना होगा। यह ग्रामीण इलाकों में लाखों लोगों को भूमि के पट्टे प्रदान करने की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसे भी ड्रोन्स जैसी प्रौद्योगिकी के जरिए पूरा किया जाएगा। इससे न सिर्फ बहुत सारे विवादों का अंत किया जा सकेगा, बल्कि लोगों को सशक्त भी बनाया जा सकेगा। एक बार किसी को संपत्ति का अधिकार दे दिया जाए, तो प्रौद्योगिकी समाधान उसकी समृद्धि को सुनिश्चितकर सकता है।
प्रौद्योगिकी रक्षा क्षेत्र में उभार की गति को भी तय कर रही है। पहले के युद्धों में निर्णय इस बात से होता था कि किस के पास बेहतर हाथी या घोड़े हैं। इसके बाद गोली-बारूद का युग आया। अब वैश्विक संघर्षों में प्रौद्योगिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। सॉफ्टवेयर से लेकर ड्रोन और यूएवी तक, प्रौद्योगिकी, रक्षा क्षेत्र को पुन: परिभाषित कर रही है।
प्रौद्योगिकी के बढ़ते इस्तेमाल से आंकड़ों का संरक्षण और साइबर सुरक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। हमारे युवा ठोस साइबर सुरक्षा समाधान तैयार कराने की दिशा में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।इन समाधानों से तैयार डिजिटल उत्पादों का इस्तेमाल साइबर हमलों और विभिन्न वायरसों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए किया जा सकता है। आज हमारा फिनटेक उद्योग बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। लाखों लोग बिना किसी हिचकिचाहट के वित्तीय लेन-देन कर रहे हैं। यह लोगों के विश्वास की वजह से ही संभव हुआ है और इसे बनाए रखना और मजबूत करना बेहद महत्वपूर्ण है। एक उचित डाटा गवर्नेंस संरचना भी हमारी प्राथमिकता है।
जहां आज मैंने मुख्य रूप से सूचना प्रौद्योगिकी पर अपनी बात को केन्द्रित रखा, उसी तरह विज्ञान के क्षेत्र में भी नवाचार का विस्तार किए जाने की जरूरत है। चाहे वे जैव विज्ञान हो या इंजीनियरिंग हो, नवाचार प्रगति की कुंजी है। जब नवाचार की बात आती है, तो भारत स्पष्ट लाभ की स्थिति में है, क्योंकि उसके पास युवा प्रतिभाएं हैं और नवाचार के प्रति उत्साह है।
हमारी युवा शक्ति की प्रतिभा और प्रौद्योगिकी की संभावनाएं असीमित हैं। यही समय है, जब हमें अपना श्रेष्ठ देना है और उसका लाभ उठाना है। मुझे विश्वास है कि हमारा सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र हमें ऐसे अवसर देता रहेगा कि हम उसपर गर्व करें।
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