नई दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) में आयोजित डिजिटल गवर्नेंस और साइबर सुरक्षा पर कार्यक्रम में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना संस्थान (बीआईएसएजी एन) के विशेष महानिदेशक विनय ठाकुर ने डिजिटल शासन, साइबर सुरक्षा, उत्तर क्वांटम कूटलेखन और भारत की विकसित होती डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर कहा कि सुरक्षित प्रौद्योगिकियां और भविष्य के डिजिटल कौशल आज भारत के सामाजिक आर्थिक विकास की जरूरत बन चुके हैं।
आईआईसीए द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने कहा कि डिजिटल क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलाव के बीच भावी पेशेवरों को सुरक्षित और सक्षम तकनीकी समझ विकसित करना समय की मांग है।
विनय ठाकुर ने भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना को विश्व की सबसे मजबूत प्रणालियों में से एक बताया। उन्होंने आधार, यूपीआई, डिजिलॉकर, भारतनेट, को विन, उमंग, मेघराज क्लाउड और बीआईएसएजी एन के भू स्थानिक मंचों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों ने शासन, सार्वजनिक सेवाओं और नागरिक सशक्तिकरण को नई दिशा दी है। ठाकुर ने कहा कि डिजिटल इंडिया केवल एक कार्यक्रम नहीं बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन है जिसने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की दूरी को कम किया है और सेवाओं की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित की है।
सत्र के दौरान उन्होंने बढ़ते साइबर खतरों, डेटा संरक्षण के महत्व, डीपीडीपी अधिनियम की जरूरत, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित साइबर हमलों के जोखिम और उत्तर क्वांटम कूटलेखन की तत्काल आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि डिजिटल सम्प्रभुता सुनिश्चित करने के लिए स्वदेशी समाधानों का विकास जरूरी है।
साभार – हिस
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