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अफगानिस्तान शांति चाहता है, पाकिस्तान नहीं माना तो अन्य विकल्प मौजूद : विदेश मंत्री मुत्ताकी

नई दिल्ली। अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ती तनातनी के बीच अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा है कि अफगानिस्तान शांति चाहता है, लेकिन अपने सीमाई और राष्ट्रीय हित की रक्षा से समझौता नहीं करेगा। क़तर और सऊदी अरब की मध्यस्थता पर अफगान पक्ष ने फिलहाल संघर्ष विराम किया है, परन्तु यदि पाकिस्तान शांति नहीं चाहेगा, तो अफगानिस्तान के पास अन्य विकल्प भी मौजूद हैं।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्ताकी ने आज दूसरी बार अफगान दूतावास में प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विषयों पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया और पिछली पत्रकार वार्ता में महिला पत्रकारों को नहीं बुलाए जाने के मुद्दे पर सफाई भी दी। इस पत्रकार वार्ता में आज आगे की पंक्तियों में महिला पत्रकार मौजूद रही।
अमीर खान मुत्ताकी ने पाकिस्तान के साथ तनाव को लेकर कहा कि वहां के लोग और अधिकांश राजनेता अफगानिस्तान से अच्छे संबंध चाहते हैं, परंतु कुछ तत्व माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2,400 किमी लंबी दुर्गम ड्यूरंड रेखा को बल प्रयोग से कोई नहीं नियंत्रित कर सका—न चंगेज़, न ब्रिटिश, न अमेरिकी।
मुत्ताकी ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान में जारी संघर्ष उसका आंतरिक मामला है और अफगानिस्तान को इसके लिए दोष देना अनुचित है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सवाल पर उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में उसकी कोई मौजूदगी नहीं है। जो लोग वहां हैं, वे पाकिस्तान के विस्थापित शरणार्थी हैं। उन्होंने चार घंटे की सीमित जवाबी कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि अफगान सेना ने लक्ष्य प्राप्त किए और किसी नागरिक को हानि नहीं पहुंचाई। क़तर व सऊदी अरब के आग्रह पर संघर्ष फिलहाल रोका गया है।
मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान अपने सीमाई और राष्ट्रीय सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी स्वयं निभाता है। किसी भी खतरे की स्थिति में जनता और सरकार एकजुट होकर देश की रक्षा करते हैं। उन्होंने बताया कि अफगान शासन इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें स्त्री-पुरुष दोनों के अधिकार सुरक्षित हैं। तालिबान शासन ने अपने विरोधियों को माफ किया है, ताकि देश में स्थायी शांति सी हो सके। “खून से खून नहीं मिटाया जा सकता,” कहते हुए उन्होंने बताया कि वह स्वयं काबुल में बिना सुरक्षा के मोटरसाइकिल चलाते हैं।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाकात में व्यापार, अर्थव्यवस्था और विकास परियोजनाओं पर विस्तृत चर्चा की। भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास स्तर तक उन्नत करने की घोषणा की और अफगान राजनयिकों के नई दिल्ली आने की पुष्टि की। बैठक में दोनों देशों के बीच एक संयुक्त व्यापार समिति बनाने पर सहमति बनी, साथ ही भारत ने स्वास्थ्य, व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में वीज़ा सुविधा बढ़ाने का आश्वासन दिया।
मुत्ताकी के अनुसार अफगानिस्तान ने भारत को खनिज, कृषि, स्वास्थ्य और खेल के क्षेत्रों में निवेश के लिए आमंत्रित किया। इसके अलावा चाबहार बंदरगाह के उपयोग, प्रतिबंधों से निपटने के उपायों और वाघा बॉर्डर को खोलने की मांग पर भी चर्चा हुई। भारत ने काबुल-दिल्ली के बीच उड़ानों की संख्या बढ़ाने और अफगानिस्तान में अधूरे विकास कार्य पूरे करने की प्रतिबद्धता जताई।
अफगान विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास पूरी तरह इस्लामिक अमीरात के नियंत्रण में है और “जो पहले हमारे विरोधी थे, वे भी अब हमारे साथ काम कर रहे हैं।” झंडे के सवाल पर उन्होंने कहा, “हमने इसी झंडे के नीचे जिहाद लड़ा और विजय पाई, इसलिए यही हमारा प्रतीक है।”
साभार – हिस

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