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गाजा में मानवीय संकट का समाधान निकाले भारत सरकार : जमाअत-ए-इस्लामी हिंद

नई दिल्ली । जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने गाजा में बढ़ते नरसंहार और मानवीय संकट पर गहरी चिंता प्रकट की है। उन्होंने भारत सरकार और विश्व समुदाय से गाजा में मानवीय संकट के समाधान के लिये हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
जमाअत अध्यक्ष ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि निरंतर घेराबंदी और बमबारी की वजह से लगभग 1.1 मिलियन बच्चों सहित 20.1 लाख से अधिक फिलिस्तीनी गाजा में फंसे हुए हैं। 18 मार्च को युद्ध विराम टूटने के बाद से इजराइल ने अपनी सैन्य आक्रामकता बढ़ा दी है तथा सहायता और आवश्यक वस्तुओं पर पूर्ण नाकेबंदी लगा रखी है। गाजा के लोग भूख और प्यास से मर रहे हैं, उनके घर ध्वस्त हो रहे हैं और उनकी आवाज़ें दबा दी गई हैं। स्थिति अत्यंत गंभीर है। इजरायल सरकार गाजा के लोगों के सम्पूर्ण विनाश की योजना बना रही है और विश्व को इस निकट विनाश को रोकने के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गाजा की 90 फ़ीसदी चिकित्सा सुविधा या तो नष्ट हो चुकी हैं या फिर काम नहीं कर रही हैं। पूरे गाजा पट्टी में केवल कुछ ही पोषण केंद्र चल रहे हैं, जबकि हज़ारों टन सहायता सामग्री में भोजन और दवाइयां महीनों से सीमा चौकियों पर फंसी हुई है। स्वच्छता और स्वच्छ जल की उपलब्धता में कमी के कारण डायरिया, हेपेटाइटिस और श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 6,60,000 बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और 17,000 से ज़्यादा बच्चे अकेले या अनाथ हैं। अगर घेराबंदी नहीं हटाई गई, तो सितंबर 2025 तक बड़े पैमाने पर अकाल पड़ने की आशंका है।
सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह दृढ़ और सैद्धांतिक रुख अपनाकर अपनी ऐतिहासिक और नैतिक ज़िम्मेदारी निभाए। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा फ़िलिस्तीन के न्यायसंगत पक्ष का समर्थन किया है। इस महत्वपूर्ण क्षण में हमें अपनी आवाज़ पहले से कहीं ज़्यादा ज़ोरदार और स्पष्ट रूप से उठानी चाहिए। भारत सरकार को सार्वजनिक रूप से इजरायल की कार्रवाई की निंदा करनी चाहिए। उसके साथ सभी सैन्य और रणनीतिक साझेदारियों को निलंबित करना चाहिए और हमलावरों को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल का समर्थन करना चाहिए।
साभार – हिस

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