नई दिल्ली। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने अपने अधिकारियों और कमर्चारियों को डिजीटल जागरुकता प्रदान करने के लिए शुक्रवार को साइबर सुरक्षा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। डॉ. अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में आयोजित कार्यशाला में ऑनलाइन सुरक्षा, साइबर खतरों और सुरक्षित इंटरनेट प्रथाओं के बारे में बताया गया। साइबर सुरक्षा जागरुकता का यह पहला चरण है। अगले चरण में इस जागरुकता अभियान को क्षेत्र स्तर पर ले जाया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि साइबर जागरूकता और डिजिटल सुरक्षा अभ्यास फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कर्मचारियों और राज्य-स्तरीय हितधारकों तक पहुंचे।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव अनिल मलिक ने कहा कि आज हम तकनीकी युग में रह रहे हैं जहां हमारा काम और संचार डिजिटल प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ा हुआ है। संवेदनशील डेटा को संभालने को लेकर सभी के लिए यह आवश्यक है कि वे सतर्क और अच्छी तरह से सूचित रहें। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य अधिकारियों को सही ज्ञान और प्रथाओं से लैस करना है। उन्होंने सभी से इन सत्रों का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक दशक में, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने समावेशी विकास और कुशल सेवा वितरण को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया है। पोषण ट्रैकर जैसी पहल ने 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में मैनुअल रिकॉर्ड की जगह रियल-टाइम डैशबोर्ड लगा दिए हैं, जिससे 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने और सेवा वितरण को सक्षम बनाया गया है। इसी तरह प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना पूरी तरह से कागज रहित, आधार-सक्षम डीबीटी प्रणाली के माध्यम से मोबाइल-आधारित पंजीकरण और लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे धन के वितरण के लिए वास्तविक समय शिकायत निवारण के माध्यम से संचालित होती है। फेशियल रिकग्निशन को अपनाने से लाभार्थियों की सटीक पहचान सुनिश्चित होती है। शी-बॉक्स और मिशन शक्ति पोर्टल, मिशन वात्सल्य पोर्टल जैसे प्लेटफ़ॉर्म सुरक्षा और कानूनी निवारण के लिए तकनीक-आधारित पहुंच प्रदान करते हैं। ऐसे में डेटा की सुरक्षा और इन प्रणालियों में विश्वास बनाए रखने के लिए साइबर सुरक्षा पर जागरूकता और क्षमता निर्माण आवश्यक है।
साभार – हिस
