पिठापुरम। श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठ के नौवें पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि आध्यात्मिक कृषि वह कृषि है जिसमें प्रकृति की पूजा की जाती है। प्रकृति में पर्यावरण की रक्षा की जाती है तथा जैविक प्राकृतिक तरीकों से मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक स्वस्थ खाद्य उत्पाद प्राप्त किए जाते हैं।
एरुवाका पूर्णिमा उत्सव के उपलक्ष्य में पिठापुरम के काकीनाडा रोड स्थित नए आश्रम परिसर में बुधवार को आयोजित शस्य वृद्धि बीजरोपणोत्सव (फसल बुवाई)कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि जैविक कृषि अपनाकर पंच तत्वों की रक्षा की जा सकती है। पंच तत्वों से युक्त प्रकृति को बचाए रखने पर ही आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित रह सकती हैं।
डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि एरुवाका पूर्णिमा,(फसल बुवाई) कृषि के लिए भूमि तैयार करने के समय मनाया जाने वाला उत्सव है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समाज में किसानों में इस उत्सव की रुचि कम होती जा रही है, इसलिए पिछले 6 वर्षों से एरुवाका पूर्णिमा के दिन उनके आश्रम में एरुवाका की परंपरा का पालन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि शस्य वृद्धि बीजरोपणोत्सव एक विशेष कार्यक्रम है जो आध्यात्मिक खेती की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। उन्होंने सभी किसानों से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने का आह्वान किया और इसके लिए उन्होंने प्रत्येक सदस्य को तीन पौधे लगाने उनकी देखभाल करने की जरूरत पथ बल दिया। उन्होंने कहा कि लगाया गया प्रत्येक पौधा एक ऑक्सीजन सिलेंडर के बराबर है। एरुवाका पूर्णिमा के अवसर पर आश्रम परिसर में कृषि क्षेत्र में आयोजित एरुवाका कार्यक्रम में डॉ. उमर अली शाह ने मुख्य अतिथियों के साथ भाग लिया। बाद में आयोजित बैठक में प्राकृतिक खेती करने वाले प्रतिष्ठित किसानों दारापु रेड्डी वेंकन्ना, (एल. अग्रहारम।) दरलंका सुरीबाबू (मल्लेपल्ली) यंद्रा चंद्रावती (रघुदेवपुरम)
दासरी पेद्दानगेश्वर राव (बावजीपेट) गुल्लापल्ली वीरभद्र राव (इसुकापल्ली उप्पारागुडेम) को सम्मानित किया गया। इसके बाद, पश्चिमी गोदावरी जिले के चीमलावारी गुडेम के आध्यात्मिक प्राकृतिक किसान, प्रशिक्षक और प्रचारक चिमला वेंकटेश को परब्रह्म मोहियुद्दीन बादशाह आध्यात्मिक कृषि- 2025 पुरस्कार प्रदान किया गया ।इस पुरस्कार के तहत उन्हें दस हजार रुपये की नकद और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
बाद में, प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय के मुख्य वैज्ञानिक नादिमपल्ली रामगोपाल वर्मा ने किसानों को ड्रोन से खेती, इसके बहुउद्देशीय उपयोग और ड्रोन पायलट प्रशिक्षण के बारे में सविस्तार बताया।
अंबाजीपेट बागवानी अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एन.बी.वी. चलपति ने विभिन्न फसलों में जैविक नियंत्रण विधियों के बारे में बताया। आंध्र प्रदेश सरकार के पूर्व संयुक्त सचिव और प्राकृतिक खेती के विशेषज्ञ वासमसेट्टी सत्यनारायणमूर्ति, गोली सुभाष, पृथ्वीराज कथारी, पोटरु शशिकांत ने एकीकृत जैविक खेती के बारे में बताया। गाय पर निर्भर प्राकृतिक खेती के प्रति उत्साही कैप्टन अज्जारापु मल्लिकार्जुन राव, एस्सार कॉरपोरेशन के पूर्व सीईओ जी.वी. कृष्णमराजू ने गाय आधारित प्राकृतिक खेती के बारे में बताया।
इसके बाद पीठाधिपति द्वारा मुख्य अतिथियों का अभिनंदन किया गया तथा स्मृति चिन्ह भेंट किये गये।
अंत में , पुरस्कार विजेता किसानों और मुख्य अतिथियों ने पीठम के नौवें पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह को सम्मानित किया और पर्यावरण संरक्षण के लिए पीठम द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।इस कार्यक्रम में पीठम केंद्रीय समिति के सदस्य एवीवी सत्यनारायण, एनटीवी प्रसाद वर्मा, संयोजक पेरुरी सूरी बाबू, अहमद अली शाह, हुसैन शाह, पीठम मीडिया संयोजक अकुला रवि तेजा, कोरुपल्ली अप्पलस्वामी और अन्य ने भाग लिया।